Move to Jagran APP

सर्दी के मौसम में बच्चों को निमोनिया से जरूर बचाएं, ये हैं लक्षण

सर्दी शुरू होते ही बढ़ जाता प्रकोप संक्रमण से भी बचाव जरूरी। पांच साल से कम उम्र के बच्चों में 18 प्रतिशत मृत्यु केवल निमोनिया से । निमोनिया से बचाव में पीसीवी टीका कारगर नियमित टीकाकरण जरूरी ।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 08 Dec 2020 08:05 AM (IST)Updated: Tue, 08 Dec 2020 08:05 AM (IST)
सर्दी के मौसम में बच्चों को निमोनिया से जरूर बचाएं, ये हैं लक्षण
दो साल से कम आयु के और दो से पांच साल के बच्चों को अलग-अलग निमोनिया के टीके लेने चाहिए।

पूर्वी चंपारण, जेएनएन। सर्दी के मौसम में बच्चों को निमोनिया का अधिक खतरा होता है। इसलिए इस मौसम में बच्चों को निमोनिया से बचाव पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चों में होने वाली मौतों में निमोनिया एक प्रमुख कारण है। विश्व में प्रतिवर्ष पांच वर्ष से कम आयु के लगभग 13 लाख बच्चों की जान केवल निमोनिया के कारण चली जाती है, जो कुल होने वाली मौत का लगभग 18 प्रतिशत है। इस दिशा में सरकार ने निमोनिया से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण में पीसीवी टीके को शामिल किया है। यह टीका निमोनिया से बचाव में काफी असरदार है।

loksabha election banner

ठंड के मौसम में अधिक खतरा

शहर के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डा. एमके दूबे बताते हैंं कि निमोनिया एक संक्रामक रोग है जो एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों को द्रव या मवाद से भरकर उसमें सूजन पैदा करता है। इससे बलगम वाली खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। निमोनिया साधारण से जानलेवा भी हो सकता है। सर्दी के मौसम में शिशुओं को निमोनिया का खतरा अधिक होता है। इसलिए इस मौसम में शिशु को ठंड से बचाना जरूरी है। इससे बचाव के लिए पीसीवी का टीका बच्चे को जरूर लगवाना चाहिए। आमतौर पर निमोनिया से शिशुओं, बच्चों एवं 65 वर्ष से उपर के आयु वाले लोगों या कमजोर प्रतिरोधक प्रणाली वाले लोगों को अधिक खतरा होता है। यह एक संक्रामक रोग है जो छींकने या खांसने से फैल सकता है।

निमोनिया के लक्षण

- बलगम वाली खांसी

- कंपकपी वाला बुखार

- सांस लेने में तकलीफ या तेजी से सांस चलना

- सीने में दर्द या बेचैनी

- भूख कम लगना

- खांसी में खून आना

- कम रक्तचाप

- जी मचलना और उलटी

निमोनिया से बचाव

डा. एमके दूबे ने कहा कि पीसीवी वैक्सीन बच्चों को निमोनिया से बचाने में सहायक होता है। इसे सरकार द्वारा नियमित टीकाकरण में शामिल किया गया है। इसे तीन खुराकों में दिया जाता है तथा यह बच्चों को निमोनिया से बचाने में अहम भूमिका अदा करता है। दो साल से कम आयु के बच्चों और दो से पांच साल के बच्चों को अलग-अलग निमोनिया के टीके लेने चाहिए। धूम्रपान से परहेज, स्वस्थ एवं संतुलित जीवन शैली तथा साफ-सफाई का ध्यान रख निमोनिया से बचा जा सकता है।

इस बीमारी के प्रकार

- बैक्टीरियल निमोनिया : यह विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया के कारण होता है। इससे कमजोर प्रतिरक्षण प्रणाली वाले लोगों, कुपोषित बच्चों तथा बीमार लोगों को अधिक खतरा होता है।

- वायरल निमोनिया : इस प्रकार का निमोनिया फ्लू सहित विभिन्न वायरस के कारण होता है तथा इससे बैक्टीरियल निमोनिया होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है।

- माइक्रोप्लाज्मा निमोनिया : इसके लक्षण अलग होते हैं और इसे एटीपीकल निमोनिया कहा जाता है। यह आम तौर पर हलके परंतु बड़े पैमाने पर निमोनिया का कारण बनता है जो सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है।

- एसपीरेशन निमोनिया : यह किसी भोजन, तरल पदार्थ, गैस या धूल से होता है। निमोनिया के इस प्रकार को कभी-कभी ठीक करना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि इससे ग्रसित लोग पहले से ही बीमार होते हैं।

- फंगल निमोनिया : इस प्रकार का निमोनिया विभिन्न स्थानीय कारणों से होता है तथा इसका निदान काफी कठिन होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.