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बिहार व यूपी के बीच गांवों की अदला-बदली से स्थापित होंगे विकास के नए आयाम

तिरहुत के प्रमंडलीय आयुक्त ने डीएम को पत्र लिखकर बिहार के सेमरा लबेदाहा और मंझरिया पंचायत स्थित बहरी स्थान मंझरिया मंझरिया खास श्रीपतनगर नैनाहां भैंसही व कतकी गांवों को यूपी शासन के अधीन करने से जुड़ी रिपोर्ट तलब की है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 09:00 AM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 09:00 AM (IST)
बिहार व यूपी के बीच गांवों की अदला-बदली से स्थापित होंगे विकास के नए आयाम
तिरहुत प्रमंडल आयुक्त के पत्र के बाद दोनों प्रदेशों के बीच गांवों की अदला-बदली को लेकर बढ़ी चर्चा।

बगहा, जासं। बगहा अनुमंडल के पिपरासी प्रखंड स्थित सेमरा लबेदाहा और मंझरिया पंचायतों के सात गांवों को उत्तर प्रदेश शासन के साथ अदला-बदली की कवायद शुरू हुई है। इन गांवों के बदले बिहार को कुशीनगर जिले के खड्डा तहसील स्थित सात गांव प्राप्त होंगे। दोनों प्रदेशों के जिन गांवों की अदला-बदली की चर्चा है, उनकी कुल आबादी करीब 30-30 हजार हैैै। तिरहुत प्रमंडल आयुक्त के पत्र के आलोक में स्थानीय स्तर पर जल्द ही आवश्यक प्रक्रिया शुरू होगी। बता दें कि तिरहुत के प्रमंडलीय आयुक्त ने डीएम को पत्र लिखकर बिहार के सेमरा लबेदाहा और मंझरिया पंचायत स्थित बहरी स्थान, मंझरिया, मंझरिया खास, श्रीपतनगर, नैनाहां, भैंसही व कतकी गांवों को यूपी शासन के अधीन करने से जुड़ी रिपोर्ट तलब की है। इन दोनों पंचायतों में करीब 10 हजार मतदाता है तथा आबादी 30 हजार है। इन गांवों तक जाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को यूपी के रास्ते होकर जाना पड़ता है। यूपी से इन गांवों का सीधा जुड़ाव है। कुछ इसी तरह खड्डा तहसील के मरचहवा, नरसिंहपुर, शिवपुर, बालगोविंद, बसंतपुर, हरिहरपुर, नरैनापुर गांवों की कुल आबादी भी 30 हजार है। इन गांवों का सीधा जुड़ाव बिहार से है। उधर, इन गांवों से सटे कांटी टोला, मुजा टोला और सोहगीबरवा यूपी के महाराजगंज जिले के अधीन हैं। इन गांवों को कुशीनगर जिले से जोड़ने की योजना है।

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गांवों की अदला-बदली से आपदा के समय मिलेगी राहत

बिहार व यूपी के जिन गांवों की अदला-बदली की कवायद शुरू हुई है, ये सभी बाढ़ प्रभावित हैं। गंडक नदी के दोनों किनारों पर बसे इन गांवों में हर साल बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाता है। जिससे लोगों को ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ती है। बरसात के चार महीने तक लोगों को घोर परेशानी का सामना करना पड़ता है। अब, ऐसे में यदि गांवों की अदला-बदली हो जाती है तो न सिर्फ आवागमन में सुविधा होगी बल्कि बरसात के दिनों में बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने में भी अधिकारियों को अधिक जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी। इसके साथ विकास के नये आयाम स्थापित होंगे। 


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