गंगा, गंडक व घाघरा में डॉल्फिन समेत अन्य जलीय जीवों का होगा सर्वेक्षण
11 वन प्रमंडल क्षेत्र में सर्वे की तीन कार्यदलों को मिली जिम्मेदारी, 15 दिसंबर तक चलेगा सर्वे कार्य, जलीय वनस्पतियों का भी अध्ययन।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। राज्य की तीन नदियों में डॉल्फिन समेत अन्य जलीय जीवों का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जा रहा। 11 वन प्रमंडल क्षेत्र के 13 जिलों में सर्वे की जिम्मेदारी तीन दलों को दी गई है। यह दल नाव से जैव विविधता का सर्वे करेगा। राज्य के मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक भारत ज्योति के अनुसार, गंगा नदी के पश्चिमी भाग में भोजपुर जिले के चौसा से पटना होते हुए मोकामा व पूर्वी भाग में सिमरिया से भागलपुर जिले के कहलगांव व कटिहार के मनियारी तक यह सर्वेक्षण होगा।
इसमें छह सौ (तीन-तीन सौ) किलोमीटर का क्षेत्र शामिल होगा। वहीं गंडक के उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्र से सोनपुर में गंगा के संगम स्थल तक 320 किमी क्षेत्र में यह सर्वेक्षण कार्य होगा। जबकि घाघरा नदी के पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र से गंगा के संगम स्थल तक सौ किमी क्षेत्र में जलीय जीवों व वनस्पति का अध्ययन होगा। 15 दिसंबर तक यह सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके आधार पर राज्य सरकार योजना तैयार करेगी। डॉल्फिन मुख्य रूप से गंगा में मिलती है। इस कारण ही गंगा के संगम स्थल तक सर्वेक्षण किया जाएगा।
मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक ने संबंधित जिले के डीएम को पत्र लिखकर सर्वे के दौरान सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
सर्वेक्षण दल में ये हैं शामिल
- डॉ. गोपाल शर्मा, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, गांगेय समभूमि प्रादेशिक शाखा, पटना। गंगा के पश्चिमी भाग का करेंगे सर्वेक्षण
- डॉ. सुनील कुमार चौधरी, वनस्पति शास्त्र विभाग, तिलकामांझी विवि भागलपुर। गंगा के पूर्वी भाग में सर्वेक्षण कार्य की जिम्मेदारी
- डॉ. समीर कुमार सिन्हा, वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया। गंडक व घाघरा में करेंगे सर्वेक्षण
राष्ट्रीय जलीय जीव होने के कारण विशेष है डॉल्फिन
गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन भारत की राष्ट्रीय जलीय जीव है। भारत सरकार ने पांच अक्टूबर 2009, तक किसी भी जलचर को राष्ट्रीय जीव घोषित नहीं किया गया था। पांच अक्टूबर 2009 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई गंगा नदी घाटी प्राधिकरण की एक बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुझाव पर विलुप्त हो रही डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया।