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मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच के छात्र अब गांवों को लेंगे गोद

एसकेएमसीएच प्रबंधन इस पर विचार कर रहा है कि चार-पांच छात्रों की टोली बने और वह एक गांव के चालीस परिवारों का केयर टेकर बन जाए। दूसरा बिंदू यह कि मरीज को सबसे पहले जेआर की देखरेख में इंटर्न देखे उसके बाद वह विशेषज्ञ चिकित्सक के पास जाए।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 08 Nov 2021 09:23 AM (IST)Updated: Mon, 08 Nov 2021 09:23 AM (IST)
मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच के छात्र अब गांवों को लेंगे गोद
छात्रों को पढ़ाई के साथ शोध में सहयोग के लिए नए मॉडल पर पहल हो रही है।

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। एसकेएमसीएच की इलाज व्यवस्था में परिवर्तन की कवायद चल रही है। प्राचार्य डा.विकास कुमार नए मॉडल को लेकर पहल तेज कर दिए है। इसके लिए कॉलेज के सभी विभागध्यक्ष के साथ मंथन चल रहा है। उनके मॉडल की दो प्रमुख बिन्दु है। पहला एसकेएमसीएच के चार-पांच छात्र की टोली बने और वह एक गांव के चालीस परिवार के केयर टेकर बन जाए। दूसरा बिंदू यह कि एसकेएमसीएच में आने वाले मरीज को सबसे पहले जेआर की देखरेख में इंटर्न देखे उसके बाद वह विशेषज्ञ चिकित्सक के पास जाए।

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अभी भटकने पर मजबूर हो रहे मरीज

एसकेएमसीएच के प्राचार्य डा.विकास कुमार ने बताया कि वह अपनी राय को पिछले दिनों एनाटामिक विभाग की ओर से आयोजित क्रांफ्रेंस में साझा कर चुके है। उन्होंने बताया कि अभी एसकेएमसीएच में कोई मरीज आता है। अपने इलाज के लिए पर्ची कटा लेता है। पर्ची कटाने के बाद उसको पता नहीें चल पता कि आखिर वह किस विशेषज्ञ चिकित्सक से मिले। मेडिकल कॉलेज रेफरल यूनिट है यहां पर हर बीमारी के विशेषज्ञ हैं। इसलिए अगर मरीज को सबसे पहले जेआर की देखरेख में इंटर्न की टोली देखे। उसके बाद वह निर्णय कर वह संबंधित बीमारी के विशेषज्ञ के पास भेज दे। इससे इलाज की क्वालिटी में सुधार होगा। इधर-उधर मरीज को भटकना नहीं पड़ेगा।

प्राचार्य ने कहा कि इसके साथ कॉलेज के चार छात्रों की टोली बनाई जाए। वह एक गांव के चालीस परिवार के केयर टेकर की भूमिका में रहें। उनसे नियमित संपर्क व उनके स्वास्थ्य का ख्याल करें।

इस तरह से हर साल दो-चार गांव एसकेएमसीएच के नेटवर्क में शामिल होने लगेगा। आने वाले दिन में पूरे जिले के सभी पंचायत सीधे एसकेएमसीएच के नेटवर्क में रहेगा। इससे मरीजों की समय पर पहचान हो पाएगी और उनका इलाज हो पाएगा। अगर हर परिवार के बीमारी का डाटा संग्रह होने लगे तो इससे आने वाले दिन में शोध में भी फायदा होगा। एसकेएमसीएच के प्राचार्य डा.विकास कुमार ने कहा कि मरीजों को बेहतर इलाज मिले। छात्रों को पढ़ाई के साथ शोध में सहयोग के लिए नए मॉडल पर पहल हो रही है। सभी विभागाध्यक्ष व अधीक्षक के साथ समन्वयक बनाकर उसको पूरा किया जाएगा।


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