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श्रीराम जानकी विवाहोत्सव: अवध नगरिया से ऐलथि सुंदर दुल्हा, जुराव लगलनि हे सासु अपन नयनवा...

अयोध्या से आई बरात दरभंगा के श्यामा मंदिर से होतेे हुए मंगलवार को मधुबनी पहुंची। राम-लक्ष्मण समेत बरातियों पर पुष्प वर्षा एक झलक को आतुर श्रद्धालु।

By Murari KumarEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 11:08 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 11:08 PM (IST)
श्रीराम जानकी विवाहोत्सव: अवध नगरिया से ऐलथि सुंदर दुल्हा, जुराव लगलनि हे सासु अपन नयनवा...

दरभंगा/मधुबनी [जेनएनएन]। कण-कण में श्रीराम। हर जुबां पर जय श्री राम। जिस राह से प्रभु श्री राम की बरात गुजरी, वहां पुष्प वर्षा की गई। आस्था की 'गंगाÓ में हर कोई डुबकी लगाने को बेताब दिखा। सबकी चाहत-बरात की एक झलक पाने की थी। अयोध्या से आई बरात दरभंगा के श्यामा मंदिर से होतेे हुए मंगलवार को मधुबनी पहुंची। 

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  सोमवार को बरात का रात्रि विश्राम दरभंगा के श्यामा माई मंदिर परिसर में था। मंगलवार की सुबह बरात रवाना हुई। इस दौरान लोगों ने साधु-संतों के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लिया। इसके पश्चात बरात बेनीपुर की ओर बढ़ी। धरौड़ा चौक पर विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल व भाजपा कार्यकर्ताओं ने आरती उतार बरात का स्वागत किया। बरातियों में अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास दशरथ की भूमिका में हैं।

वहीं विश्व हिंदू परिषद मुख्यालय, कारसेवकपुरम की धर्मयात्रा महासंघ के संयोजक राजेंद्र सिंह 'पंकजÓ की अगुआई में शामिल बरातियों में हरिद्वार सिद्धपीठ हनुमान मंदिर के महंत डॉ. वैष्णोदास महर्षि विश्वामित्र और दिगंबर अखाड़ा के मंत्री महंत वैष्णो दास महर्षि वशिष्ठ के रूप में शामिल हैं। रामायणी महंत राम अवतार दास के साथ दो रथ और दर्जनों वाहन चल रहे, जिनमें तकरीबन 130 संत बराती हैं। 

गीतों पर मुग्‍ध हुए श्रीराम व लक्ष्‍मण

अवध नगरिया से ऐलथि सुंदर दुल्‍हा, जुराव लगलनि हे सासु अपन नयनवा..., रामजी से पूछे जनकपुर के नारी, बता द बबुआ... लोगवा देत काहे गाली बता द बबुआ, मंगलमय दिन आजु हे पाहुल छैथ आएल समेत अन्‍य मंगल गीतों से जब मैथलानियों ने पाहुन श्रीराम-लक्ष्‍मण औरा बरातियों का स्‍वागत किया तो सभी विभोग हो गए। मैथिली गीतों की मिठास से सभी बराती मंद-मंद मुस्‍करा रहे थे। विदाई के वक्‍त जब बरात और श्रीराम का रथ निकला तो मौजूद श्रद्धालुओं ने जय श्री राम के नारे लगाए। झूमते नाचते लोगों के साथ खुशी- खुशी अवधवासी दरभंगा से जनकपुर के लिए विदा हो गए। 

सखा संग पधारे पाहुन राम, धन्य हुई मिथिला

मिथिला नगरी आज धन्य-धन्य है। अवध से प्रभु श्रीराम सखा लखनलाल, भरत व शत्रुघ्न संग पाहुन के रूप में पधारे हैं। अयोध्या से चली श्रीराम की बरात मंगलवार देर शाम यहां पहुंची। श्रीराम के दर्शन को हजारों की संख्या में मिथिला की महिलाएं पलकें बिछाए खड़ी थीं। पांच घंटे के इंतजार के बाद जैसे ही बरात सकरी के महावीर मंदिर पहुंची भगवान श्रीराम के जयकारे गूंजने लगे। 

श्रीराम की आरती अनंत श्री विभूषित चुतुर्भुजाचार्य महामंडलेश्वर श्रीमहंत रामउदिता दास जी (मौनी बाबा) ने उतारी। बरात में शामिल साधु-संत को पाग और मखाना माला, फूल माला से स्वागत किया गया। एक और मिथिलावासी अपने को धन्य मान रहे थे, वहीं अवधवासी भी इस स्वागत से गदगद थे। बरात दिल्ली मोड़ होते हुए कपिलेश्वर स्थान, रहिका होते हुए बासोपट्टी पहुंची। यहां बरातियों के रात्रि विश्राम की व्यवस्था है। बुधवार को बरात फुलहर के लिए प्रस्थान करेगी। कहा जाता है कि यही वह जगह है जहां श्रीराम की पहली मुलाकात जानकी से हुई थी।

मिथिला के सत्कार से अभिभूत दिखे अयोध्या से आए संत 

श्रीराम विवाह में अयोध्या से जनकपुर की यात्रा पर निकले बराती बने संत मिथिला के आतिथ्य सत्कार से अभिभूत दिखे। डॉ. रामेश्वर दास श्रीवैष्णव, पंडित जीवेश्वर मिश्रा, महंत वैष्णव दास, महंथ कन्हैया दास, महंत रामानंद दास रामायणी सहित अन्य संत यहां के उत्साह और स्वागत की तारीफ करते नहीं अघा रहे थे। 

उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल के संबंध में और प्रगाढ़ता लाने के लिहाज से भी यह यात्रा महत्वपूर्ण है। दरभंगा शहर में सुबह चूड़ा-दही का सुस्वाद भोजन के पश्चात वे कोर्थू, गलमा धाम, पुनहद, धरौड़ा, नेहरा होते हुए मधुबनी के सीमावर्ती सकरी पहुंचे।

इस दौरान गलमा धाम में बैगन-अदौरी, आलू-गोभी की सब्जी सहित परोसी गई मखाने की खीर मन को भा गई। मिथिलावासी के बार-बार आग्रह पर संतों ने जमकर भंडारा का आनंद लिया। बताया कि मिथिला के आतिथ्य सत्कार के बारे में वे अभी तक केवल सुनते आए थे, लेकिन आज मिथिला के आतिथ्य सत्कार को नजदीक से देखने का मौका मिला। इससे यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब प्रभु श्रीराम की बरात त्रेता में आई होगी तो ऐसा ही मनोरम ²श्य उस वक्त के लोगों ने देखा होगा। पूरे रास्ते महिलाओं ने मैथिली में विवाह गीत गाकर उनका अभिनंदन किया। वहीं, विदाई स्वरूप सभी संतों को वस्त्रादि भी भेंट किए। 

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