प्रोत्साहन व सही मार्गदर्शन की कमी से समय पूर्व ही 'आउट' हो जा रहीं खेल प्रतिभाएं
समस्तीपुर में खेल के साथ हो रहे खेल से खिलाड़ी परेशान। अब महज मनोरंजन का साधन बनता जा रहा यह। सुविधाओं की कमी से भी हो रही परेशानी।
समस्तीपुर [मुकेश वर्मा]। जिले में खेल के नाम पर केवल 'खेल' ही हो रहा। यहां आधारभूत संरचनाएं बेहद कमजोर हैं। सुविधाओं की कमी के कारण खेल प्रतिभाएं उभर नहीं पातीं । इन विपरीत स्थिति के बावजूद रोविन राजा रुमौल्ड ने जूनियर अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल , अनुकूल राय ने जूनियर विश्व कप क्रिकेट एवं आकाश ठाकुर ने सब जूनियर अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन कर जिले का नाम रोशन किया है। इनके अलावा एथलेटिक्स के क्षेत्र में मो. शाहिद , जितेंद्र कुमार एवं संजय कुमार राय और वॉलीबाॅल में राजेश कुमार व कैरमबोर्ड में राज अग्रवाल-जेड खान ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन कर जिले के लोगों को गौरवान्वित महसूस कराया।
आकाश ठाकुर
इसी तरह टेबल टेनिस में इकरा आफताब व अंजनी कुमार ने राज्य स्तर पर अपने प्रदर्शन का लोहा मनवाया है । फुटबॉलर रोबिन राजा रुमौल्ड अपनी उपलब्धियों के पीछे अपने पिता सह राष्ट्रीय खिलाड़ी स्व.विल्सन को प्रेरणा मानते हैं। कहा, उनके कठोर अनुशासन व खेल की बारीकियों की जानकारी के कारण मैं मुकाम हासिल कर सका।
अनुकूल राय
वहीं क्रिकेटर अनुकूल राय अपनी उपलब्धि में परिश्रम, स्थानीय गुरु ब्रजेश झा एवं अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक वेंकट राम के मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण योगदान मानते हैं । शटलर आकाश ठाकुर ने अपने गुरु नवीन कुमार को उपलब्धि का मुख्य नायक बताया।
नवीन कुमार
बिहार बैडमिंटन टीम के मैनेजर सह जिला टीम के कोच नवीन कुमार ने कहा कि बैडमिंटन खिलाड़ी के लिए अगर तीन कोर्ट वाले हाल का निर्माण हो जाए तो यहां से कई प्रतिभाएं राष्ट्रीय क्षितिज पर दिखाई देंगीं । कहा, रोजगार तो दूर प्रोत्साहन भी नहीं मिलता है। खेलों के माध्यम से सूबे की सरकार ने सशक्त एवं समृद्ध बिहार के निर्माण हेतु मुख्यमंत्री खेल विकास योजना प्रारंभ की थी। इसके तहत उत्कृष्ट खिलाड़ियों को रोजगार के अवसर प्रदान करने की योजना बनी । मगर, सरकार की उपरोक्त योजना समस्तीपुर में फलीभूत नहीं हो रही है ।
मो. शाहिद
विभिन्न खेलों के दर्जनों खिलाड़ियों ने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर अपना परचम लहराया है । परंतु उन खिलाड़ियों को अब तक नौकरी मिलने की बात तो दूर प्रोत्साहन भी नहीं मिला। जिले के अधिकांश खेल संगठन के अधिकारी अपने पदों पर वर्षों से बैठे हैं । विद्यालयों में खेल की घंटी मतलब बच्चों को छुट्टी का संकेत है । ऐसे में जिले में खेल व खिलाड़ियों की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
जितेंद्र कुमार