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कभी श्रवण कुमार लड़ते थे कुश्ती, आज व्यवस्था से लड़ रहा स्थल

अन्हारमन मठ के विकास के प्रति शासन-प्रशासन उदासीन, अब भी खुदाई में मिलती रहती है पौराणिक सामग्री!

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 11:43 AM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 11:43 AM (IST)
कभी श्रवण कुमार लड़ते थे कुश्ती, आज व्यवस्था से लड़ रहा स्थल
कभी श्रवण कुमार लड़ते थे कुश्ती, आज व्यवस्था से लड़ रहा स्थल

मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। सीतामढ़ी केवल माता जानकी की जन्मस्थली ही नहीं, बल्कि इसके कण-कण में रामायण काल से जुड़ी स्मृतियां हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार का सीतामढ़ी से भी संबंध रहा है। नेपाल सीमा से सटे सोनबरसा प्रखंड के खुशनगरी गांव स्थित अन्हारमन मंदिर इसका गवाह है। यहां श्रवण कुश्ती लड़ते थे। श्रवण अखाड़ा नाम से विख्यात इस स्थल पर माता-पिता को तीर्थाटन कराने के क्रम में वे पहुंचे थे। यहां उन्होंने शिवङ्क्षलग की भी स्थापना की थी।

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  अन्हारमन को अंध-अंधी मठ भी कहते हैं। बताया जाता है कि त्रेता युग में श्रवण अपने पिता शांतवन और माता ज्ञानवती को तीर्थाटन के दौरान खुशनगरी लाए थे। यहां लंबा वक्त गुजारा था। इस स्थान पर हजारों साल पुराना बरगद का पेड़ और एक टीला है। ग्रामीणों के अनुसार इसी टीले पर श्रवण का अखाड़ा था, जहां वे कुश्ती लड़ते थे। उन्होंने यहां शिवङ्क्षलग की भी स्थापना की थी। कभी मठ के पास 700 एकड़ जमीन थी। आज सिर्फ मठ ही रह गया है।

मिलती हैं पौराणिक सामग्री

खुशनगरी और आसपास के इलाके में कौड़ी, देवी-देवताओं की मूर्ति और मुद्रा सहित अन्य सामान मिलते रहे हैं। खेतों की जुताई के दौरान मिली सामग्री मठ में रखी जाती थी। इनमें से बहुत सा सामान चोरों ने गायब कर दिया है। इस पौराणिक स्थल के जीर्णोद्धार और खुदाई के लिए लगातार सवाल उठते रहे हैं। ढाई साल पूर्व परिहार विधायक गायत्री देवी ने विधानसभा में मामला उठाया था। लेकिन, कोई पहल नहीं हो सकी। विधायक का कहना है कि वे फिर मामले को उठाएंगी।

   इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कराने के लिए प्रयास करेंगी। मंदिर के पुजारी बाबा राम दिनेश दास जी महाराज बताते हैं कि यह पवित्र स्थल है। इसका विकास होना चाहिए। देखरेख के अभाव में मंदिर की हालत खराब हो गई है। धार्मिक स्थल उत्थान संघर्ष समिति से जुड़े खुशनगरी निवासी सह गीतकार गीतेश इस स्थल को महत्वपूर्ण करार देते हैं। कहते हैं, इसका विकास होना चाहिए।


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