श्रीलंका से जुड़ेगा सीतामढ़ी का पुनौरा धाम, पर्यटकों के लिए चलेगी स्पेशल ट्रेन
बिहार और श्रीलंका के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए श्रीलंका सरकार चाहती है कि सीतामढ़ी के पुनौरा धाम से श्रीलंका के लिए स्पेशल ट्रेन चलायी जाए।
मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। श्रीलंका व बिहार के बीच टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए श्रीलंका सरकार एमओयू करने की इच्छुक है। 25 अगस्त को श्रीलंका के पर्यटन मंत्री बोधगया आए थे, तब उन्होंने यह इच्छा जाहिर की थी। यह जानकारी सूबे के पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार ने दी।
वे शुक्रवार को बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कॉमर्स एंड मैनेजमेंट डिपार्टमेंट में 'उत्तर बिहार की अर्थव्यवस्था के विकास में पर्यटन की भूमिका एवं संभावनाएं' विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि श्रीलंका के पर्यटन मंत्री ने कहा था कि उनके यहां रावण का किला जहां माता जानकी को रखा गया था, वह दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित है। इसके साथ ही, सीतामढ़ी में पुनौरा धाम के रूप में चर्चित माता जानकी का जन्मस्थल व अयोध्या का श्रीराम जन्मभूमि के दर्शन के लिए श्रीलंकाई पर्यटक आते-जाते रहेंगे। श्रीलंका में बौद्धधर्म को मानने वालों की संख्या ज्यादा है, इसलिए वे बोधगया का भी दर्शन करने के लिए एमओयू चाहते हैं।
उत्तर बिहार पर्यटन के मानचित्र पर विकसित होगा
पर्यटन के रोड मैप की चर्चा करते हुए मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे बजट की उपलब्धता होगी, वैसे-वैसे उत्तर बिहार पर्यटन के मानचित्र पर विकसित होगा। विलेज टूरिज्म के तहत केंद्र सरकार को लिखा गया है कि मिथिला, चंपारण, सारण, मुजफ्फरपुर-वैशाली सर्किट बनाया जाए। इन जगहों पर दर्शनीय व पर्यटन स्थलों पर सांस्कृति ग्राम बनाया जाएगा।
सारण के जिलाधिकारी को सोनपुर मेला स्थल को भी सांस्कृतिक ग्राम के रुप में विकसित करने का निर्देश दिया है। इसी प्रकार मोतिहारी के डीएम को कहा है कि भगीरथ और श्रीराम के पूर्वज राजा सगर के बावन बीघे के प्लॉट पर सांस्कृतिक ग्राम बनाने की योजना है।
बाबा गरीबनाथ धाम को कांवरिया सर्किट से जोडऩे के लिए मुजफ्फरपुर के डीएम जमीन का बंदोबस्त करने में दिलचस्पी नहीं रहे हैं।
पर्यटन की भावी योजनाएं
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मुजफ्फरपुर और पटना से श्रद्धालुओं के लिए उज्जैन, स्वराष्ट्र, द्वारिकाधीश, रामेश्वर और नागेश्वर के लिए ट्रेन चलाई जाएगी। इसी प्रकार फतेहपुर सिकरी और अजमेर शरीफ के लिए भी सीधी ट्रेन चलाई जाएगी।
दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप केसरिया और वहां बाबा केसरनाथ, बाबा महेंद्रनाथ, बाबा हरिहरनाथ, मिथिलांचल की मिथिला पेंटिंग को भी बढ़ावा देने की योजना पर काम हो रहा है। जैन समाज के प्रमुख 24 तीर्थस्थलों को भी विकसित किया जाएगा।