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अंग्रेजी हुकूमत में अस्तित्व में आई सीतामढ़ी नगरपालिका, 133 बरस बाद नगर निगम

Sitamarhi news 1882 में अस्तित्व में आई थी सीतामढ़ी नगरपालिका शहर की सूरत बदली सीरत बदल न पाई सीतामढ़ी नगर पालिका के चेयरमैन पद पर कालिका प्रसाद मिश्र नरेंद्र प्रसाद रघुनाथ प्रसादलक्ष्मी प्रसाद महंत रघुनाथ दास बालमुकुंद गोयल सहित अन्‍य लोग इस पद को सुशोभित कर चुके हैं।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 04:07 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 04:07 PM (IST)
अंग्रेजी हुकूमत में अस्तित्व में आई सीतामढ़ी नगरपालिका, 133 बरस बाद नगर निगम
सीतामढ़ी के तत्कालीन नगर परिषद का कार्यालय। फोटो-जागरण

सीतामढ़ी, जासं। 133 वर्ष का सफर पूरा कर सीतामढ़ी नगरपालिका अब नगर निगम बन गई है। वैसे 11 दिसंबर, 1972 को मुजफ्फरपुर जिले से अलग होकर सीतामढ़ी जिला बना था। अगले कुछ महीने में नगर निगम का चुनाव भी होना है। ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता संग्राम और देश की आजादी का भी गवाह रही है। नगरपालिका से नगर निगम तक के सफर में शहर का स्वरूप बदलता गया, निश्चय ही नगरपालिका की कार्यसंस्कृति बदलती गई। सीतामढ़ी नगरपालिका 1882 में अस्तित्व में आई। इसका गठन बिहार एंड उड़ीसा नगरपालिका अधिनियम 1922 के तहत किया गया था। तब शहर में 24 वार्ड हुआ करते थे।

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स्थापना काल से लेकर वर्ष 1971 तक नगरपालिका के चेयरमैन ही सर्वेसर्वा होते थे। वर्ष 1971 में राज्य सरकार ने नगरपालिका में कार्यपालक पदाधिकारी का पद सृजित कर इस पद पर नियुक्ति कर दी। सीतामढ़ी नगर पालिका के चेयरमैन पद पर कालिका प्रसाद मिश्र, लक्ष्मी प्रसाद, महंत रघुनाथ दास, नरेंद्र प्रसाद, रघुनाथ प्रसाद, बालमुकुंद गोयल सहित कई लोग इस पद को सुशोभित कर चुके हैं। इसके अलावा मनोज कुमार तथा नगर परिषद बनने के बाद शकुंतला शर्मा, जयमुनी देवी, जलालुद्दीन खां, सुवंश राय, विभा देवी (निवर्तमान) भी अध्यक्ष रह चुके हैं। इनमें मनोज कुमार व जलालुद्दीन खां अभी भी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। बहरहाल, 133 साल के लंबे सफर के बाद सीतामढ़ी में पहली बार मेयर चुनाव होगा। शहरवासी पहली बार अपना रियल हीरो चुनेंगे। मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव में जनता की सीधी भागीदारी होगी और मतदान से चुनाव होगा। इसको लेकर लोगों की उत्सुकता चरम पर है। यद्यपि अभी चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई है, लेकिन सरकार के इस निर्णय ने शहर की सियासी हलचल को चरम पर पहुंचा दिया है।

वर्ष 2007 में नगरपालिका से बन गई नगर परिषद

वर्ष 2007 में बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 लागू किया गया। इस एक्ट के तहत सीतामढ़ी नगरपालिका को नगर परिषद के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। इससे पूर्व वर्ष 1995 से 2000 के बीच 24 से बढ़ाकर 28 वार्ड बन गए। स्थापना काल से लेकर वर्ष 2018 तक शहर के गांधी चौक के निकट नगर परिषद का कार्यालय रहा। उसके बाद हॉस्पीटल रोड में नया भवन बना और उसमें नगर परिषद कार्यालय शिफ्ट हो गया। करीब एक साल पूर्व नगर परिषद नगर निगम बन गया और उसके बाद नगर आयुक्त की नियुक्ति हुई। बीते दिसंबर माह में राज्य सरकार ने जिला पदाधिकारी को नगर निगम का प्रशासक नियुक्त कर दिया है। अब इसके चुनाव की तैयारी की जा रही है।

पहले और आज के दौर में कार्य संस्कृति का दिख रहा फर्क

वर्ष 1991 से 1994 तक नगरपालिका के अध्यक्ष रहे मनोज कुमार बताते हैं कि पहले और आज के दौर में कार्य-संस्कृति का अंतर दिखता है। पहले आंवटन कम रहता था लेकिन, कार्य अच्छा होता था। अब आवंटन और संसाधन पर्याप्त रहने के बावजूद कार्य में अनियमितता बरती जाती थी। पहले किसी समस्या का निदान त्वरित गति से होता था। कार्य करने वाले अपने कार्य के प्रति समर्पित और निष्ठावान रहते थे। आजकल इसका क्षरण साफ दिखता है।


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