Shri Ram Katha : कलियुग में भगवान राम का नाप जपना ही भगवत प्राप्ति का साधन, श्री हरि के गुणों का गान करने से ही मनुष्य भवसागर पार हो सकता
Shri Ram Katha सतयुग में भगवान के ध्यान तप और त्रेता युग में यज्ञ-अनुष्ठान द्वापर युग में पूजा-अर्चना से जो फल मिलता था कलियुग में वह पुण्य श्रीराम के नाम-संकीर्तन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Shri Ram Katha: गायघाट प्रखंड क्षेत्र के बहादुरपुर में श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा था। इसके अंतिम दिन मानस मर्मज्ञ यमुना दास जी महराज ने बताया कि कलियुग में भगवान की प्राप्ति का सबसे सरल, किंतु प्रबल साधन रामनाम जप ही है। इसमें एक बहुत बड़ा सद्गुण यह है कि सतयुग में भगवान के ध्यान, तप और त्रेता युग में यज्ञ-अनुष्ठान, द्वापर युग में पूजा-अर्चना से जो फल मिलता था, कलियुग में वह पुण्य श्रीराम के नाम-संकीर्तन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है। त्रेता युग में लोग सैकड़ों वर्ष यज्ञ करते थे तो उन्हेंं फल मिलता था, वो फल कलियुग में भगवान के नाम का कीर्तन करने मात्र से मिल जाता है।
कहा कि कलियुग में तो केवल श्री हरि की गुण गाथाओं का गान करने से ही मनुष्य भवसागर की थाह पा जाते हैं। कलियुग में न तो योग और यज्ञ है और न ज्ञान ही है। श्रीराम जी का गुणगान ही एकमात्र आधार है। अतएव सारे भरोसे त्यागकर जो श्रीरामजी को भजता है और प्रेम सहित उनके गुण समूहों को गाता है, वही भवसागर से तर जाता है। नाम का प्रताप कलियुग में प्रत्यक्ष है। नाम जप से बढ़कर कोई भी साधना नहीं है।