शिवभक्तों की उमंग में भीगे मन
'बउआ बम, बोल बम। बहना बम, बोल बम। जोर से बोलऽ बोल बम' का उद्घोष करते कांवरियों का जत्था बाबा गरीबनाथ धाम की ओर आगे बढ़ रहा था। दृश्य था पहलेजा घाट-मुजफ्फरपुर कांवरिया मार्ग का।
मुजफ्फरपुर। 'बउआ बम, बोल बम। बहना बम, बोल बम। जोर से बोलऽ बोल बम' का उद्घोष करते कांवरियों का जत्था बाबा गरीबनाथ धाम की ओर आगे बढ़ रहा था। दृश्य था पहलेजा घाट-मुजफ्फरपुर कांवरिया मार्ग का। तीसरी सोमवारी पर बाबा गरीबनाथ की नगरी मुजफ्फरपुर में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। 'बोल बम' से सड़कें गूंज उठीं। मौसम भी शिवभक्तों का पूरा साथ दे रहा था। तपती सड़कों पर बारिश की फुहार से उन्हें काफी राहत मिली।
वैसे तो रविवार की सुबह से ही कांवरिए बाबा गरीबनाथ का जलाभिषेक करने लगे थे। शाम होते ही इनकी संख्या बढ़ती चली गई। रात करीब आठ से नौ बजे के बीच प्रधान आरती के लिए जलाभिषेक रोका गया। पं.नवीन ठाकुर ने पूजा-आरती की। इसके बाद जैसे ही पट खुला, जलाभिषेक के लिए कांवरियों का हुजूम उमड़ पड़ा। जिसे संभालना स्वयंसेवकों के लिए मुश्किल हो रहा था। इस बीच देर रात तक करीब एक लाख कांवर व 20 हजार से अधिक डाक बम ने बाबा का जलाभिषेक किया।
इसके पूर्व, बाबा गरीबनाथ के जलाभिषेक के लिए शहर में कांवरियों का आना शनिवार को जो शुरू हुआ, वह रविवार देर रात तक जारी रहा। मुजफ्फरपुर-पहलेजा कांवरिया मार्ग में शिव भक्तों का रेला नजर आ रहा था। उनके चेहरे पर थकान साफ झलक रही थी। मगर, भक्ति गीतों की धुन व बाबा के उद्घोष से जैसे उनमें नई ऊर्जा का संचार हो रहा हो, वे उमंग व उत्साह के साथ बाबा के दरबार की ओर बढ़े चले जा रहे थे। रह-रहकर उनके मुख से 'बाबा नगरिया दूर है, जाना जरूर है' 'बोल बम का नारा है, बाबा एक सहारा है' स्वर फूट पड़ता था। इधर, गेरुए वस्त्रधारी कांवरियों से परिवेश शिवमय प्रतीत हो रहा था। कदम-कदम पर शिविरों में बजते भक्तिगीतों से लोग आनंदित हो रहे थे।
जगह-जगह थी बैरिकेडिंग
पिछली सोमवारी को हुई भगदड़ को देखते हुए इस बार बैरिकेडिंग बढ़ा दी गई है। कांवरिया मार्ग में भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दिया गया था। हर चौक-चौराहों पर मजिस्ट्रेट व पुलिस तैनात थे। शिवभक्तों की आस्था को ठेस नहीं पहुंचे, इसका भी ख्याल रखा जा रहा था।
मंदिर प्रबंधन ने बढ़ाए स्वयंसेवक
इस बार मंदिर प्रबंधन ने स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ा दी थी। ऊँ सेवा दल, समर्पण, नवसंचेतन, बाला जी, रुद्र, मां बगलामुखी व पंचभूत, इन सात संगठनों के अलावा रेलवे के करीब 150 प्रशिक्षु कर्मियों ने भी सेवा दी।