बाबुल दीप, मुजफ्फरपुर। लोग साइबर फ्राॅड गिरोह से परेशान थे, लेकिन सेक्सटाॅर्शन गैंग ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। साइबर फ्राॅड के मामले में तो सिर्फ रुपये जाते थे। इस मामले में बदनामी भी होने का डर रहता है। ऐसे गिरोह से सावधान रहने की आवश्यकता है। हम बात कर रहे हैं सेक्सटाॅर्शन गैंग के शातिरों की। हाल में ये नाम अक्सर सुनने को मिल जाते हैं।

इस गिरोह के शातिरों ने शहर ही नहीं बल्कि, ग्रामीण इलाकों के एक दर्जन से अधिक लोगों को शिकार बनाया है। इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ दें तो पीड़ित बदनामी के डर से पुलिस या थाने में शिकायत तक करने नहीं जा रहे हैं। इससे यह गिरोह हावी होता जा रहा है। ऐसे पीड़ित लोगों को ब्लैकमेल कर लाखों रुपये वसूल चुका है।

क्या है ये गिरोह

सेक्सटाॅर्शन गिरोह में मुख्य भूमिका लड़कियों की होती है। वह किसी व्यक्ति के मोबाइल नंबर को टारगेट करती हँ। फिर रात में उसी नंबर पर वीडियो काॅल करती हैं। अर्द्धनग्न अवस्था वीडियो कॉल को स्क्रीन रिकॉर्डर से रिकॉर्ड किया जाता है। इसके बाद उक्त शख्स का चेहरे का इस्तेमाल किसी दूसरे अर्द्धनग्न शरीर वाले शख्स के साथ एडिट कर जोड़ दिया जाता है। इसके बाद ब्लैकमेल करने का धंधा शुरू होता है।

एसीपी बताकर करता है कॉल

उस एडिट किए गए वीडियो को पीड़ित के नंबर पर भेजा जाता है। फिर वह लड़की काॅल कर पांच से दस लाख रुपये की डिमांड करती है। जब वह व्यक्ति आनाकानी करता है तो वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी जाती है। इसके बाद दूसरे अंजान नंबरों से कॉल किए जाते हैं। कॉल करने वाला खुद को एसीपी बताते हुए कहता है कि तुम पर केस किया जाएगा। विभिन्न तरीकों से पीड़ित को डराया-धमकाया जाता है। इसके बाद पीड़ित डर के कारण बताए गए खाते में रकम भेज देता है।

अपशब्द कहे तब बंद हुआ काॅल आना

खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उनके दो परिचित लोग इस गिरोह के जाल में फंस गए थे। संयोगवश वे दोनों उनके संपर्क में आए और पूरा घटनाक्रम बताया। फिर उन्होंने उसी के मोबाइल से काॅल किया। सामने से वही बात दोहराई गई कि मैं मध्य प्रदेश का एसीपी बात कर रहा हूं। अगर पैसे नहीं भेजे तो केस दर्ज कर उसे जेल भेज दिया जाएगा। जब खुफिया विभाग के अधिकारी ने अपना परिचय दिया और जमकर अपशब्द कहे तो इसके बाद से काॅल आना बंद हो गया। इस तरह दो लोग इस गिरोह का शिकार होने से बच गए।

केस दर्ज हुए, पर कार्रवाई नदारद

हाल में अलग-अलग थानों में इस तरह के चार केस दर्ज हुए हैं। लेकिन, पुलिस की कार्रवाई इससे आगे नहीं बढ़ सकी। पुलिस जांच में पता लगा कि सभी नंबर या तो फर्जी थे या वीपीएन काॅल का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस की जांच वहीं पर अटकी रह गई। गिरोह का शिकार होने वाले कई लोग बदनामी के डर से पुलिस के पास शिकायत करने नहीं जाते हैं। सूत्र बताते हैं कि ब्लैकमेल और वीडियो वायरल करने की धमकी से डरकर लाखों रुपये शातिर के बैंक खाते में भेज चुके हैं।

अगर किसी को इस तरह का काॅल आए और ब्लैकमेल किया जाए तो संबंधित थाने में अवश्य शिकायत करें। पुलिस जो भी जानकारी मांगती है, उसे उपलब्ध कराएं। झांसे में नहीं आएं, डरें नहीं और रुपये तो बिल्कुल भी नहीं भेजें। - राघव दयाल, नगर डीएसपी