सुबह की धूप देखकर दिन का भविष्य बताने वाले खा गए मात, बादलों ने आसमान में जमाया डेरा
आज और कल गरज के साथ हल्की बारिश या बूंदाबांदी की जताई जा रही है संभावना। एक-दो स्थानों पर ओला भी पड़ेगा हवा की गति भी तेज रहेगी।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। नववर्ष में भी ठंड से राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही। पहला दिन भी कुछ ऐसा ही रहा और दूसरे दिन भी स्थिति में कुछ बदलाव होता नहीं दिख रहा। हालांकि सुबह की शुरुआत खिली धूप से हुई, लेकिन कुछ ही घंटे बाद बादल आसमान में छा गया। पूरे आसमान में बादलों का साम्राज्य कायम हो गया। इसका असर यह रहा कि गलन और कनकनी में कोई कमी नहीं हुई। पिछले एक सप्ताह से यह दौर जारी है। इसमें कहीं कमी नहीं आ रही। धूप के बावजूद गलन कम नहीं हो रहा।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के मौसम विभाग ने भी कहा है कि उत्तर बिहार में मौसम के एक बार फिर करवट लेने की तैयारी में है। दो और तीन जनवरी को गरज के साथ हल्की बारिश या बूंदाबांदी हो सकती। जबकि, एक दो स्थानों पर ओला भी पड़ेगा। हवा की गति तेज रहेगी। इससे ठंड में इजाफा हो सकता है।
कनकनी और गलन रहेगी
30 दिसंबर को अधिकतम तापमान 14.6 और न्यूनतम तापमान 6.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। मौसम वैज्ञानिक डॉ. ए सत्तार ने बताया कि इस दिन सामान्य अधिकतम तापमान आज की तिथि में 22.7 व न्यूनतम तापमान 8.4 डिग्री रहना चाहिए। 30 दिसंबर को भी अधिकतम तापमान 14.6 डिग्री सेल्सियस तो न्यूनतम 4.2 डिग्री सेल्सियस रहा। लोग हाड़ कंपा देनेवाली ठंड से परेशान रहे। एक दर्जन से ज्यादा लोगों की जान इसके प्रभाव से जा चुकी है।मौसम विभाग ने भी चेतावनी दी है।
कोहरे से जनजीवन प्रभावित
कोहरे का जनमानस पर व्यापक असर पड़ रहा। शाम होते ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जा रहा। कोहरे या कनकनी रहने के कारण लोग जल्दी घरों से नहीं निकल रहे। सड़क और रेल यातायात प्रभावित हो रहा। ट्रेनें भी अपने निर्धारित समय से घंटों विलंब से चल रहीं। जिले में कई स्थानों पर प्रशासन की ओर से अलाव जलवाया गया है। हालांकि, ग्रामीण इलाकों में अभी इसका अभाव दिख रहा। लोग अलाव की मांग कर रहे। अस्पतालों में मौसमी बीमारी के मरीज पहुंच रहे।
खड़ी फसलों में सिंचाई फिलहाल नहीं करें
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने मौसम को लेकर पूर्वानुमान जारी किया है। इस अवधि में हल्की वर्षा की संभावना को देखते हुए कृषि कार्य जैसे कीटनाषक दवाओं के छिड़काव आदि में सर्तकता बरतने को कहा गया है। किसान खड़ी फसलों में सिंचाई फिलहाल स्थगित रखें।
आलू, गाजर, मटर, टमाटर, धनियां, लहसून एवं अन्य रबी फसलों में झुलसा रोग की निगरानी करें। बदलीनुमा मौसम तथा वतावरण में नमी होने पर यह बीमारी फसलों में काफी तेजी से फैलती है। इस रोग के लक्षण दिखने पर 2.5 ग्राम डाई-इथेन एम0 45 दवा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर फसल पर 2-3 छिड़काव 10 दिनों के अंतराल पर करें। सब्जियों में निकाई-गुड़ाई करें। बैंगन की फसल को तना एवं फल छेदक कीट की निगरानी करें। रबी प्याज की रोपाई प्राथमिकता से करें। अगात प्याज में निकौनी करें। लहसुन की फसल में निकौनी एवं कीट-व्याधि की निगरानी करें।
पशुओं के लिए गर्म बिछावन करें
तापमान में लगातार गिरावट के कारण दुधारू पशुओं के दुध उत्पादन में आई कमी को दूर करने के लिए हरे एवं शुष्क चारे के मिश्रण के साथ नियमित रूप से 50 ग्राम नमक, 50 से 100 ग्राम खनिज मिश्रण प्रति पशु एवं दाना खिलाएं। बिछावन के लिए सूखी घास या राख का उपयोग करें।