स्वस्थ लोगों में संज्ञानात्मक कार्यों को बढ़ावा देगा 'सत्यम',इसके बारे में विस्तार से जानें
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर योग व मेडिटेशन का पड़ता है सकारात्मक प्रभाव। कार्यक्रम के तहत शोध और अनुसंधान कार्य को दिया जाएगा बढ़ावा।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑफ योग एंड मेडिटेशन (सत्यम) स्वस्थ लोगों में संज्ञानात्मक कार्यों को बढ़ावा देगा। साइंस एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने मेडिसिन, साइकोलॉजी, न्यूरोसाइंस, फिलॉसफी के साथ मिलकर इसको लेकर योजना बनाई है। इसके अनुसार सत्यम कार्यक्रम विविध विषयोंं के साथ-साथ योग और मेडिटेशन के अध्ययन में विशेष भूमिका निभाएगा।
वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा
इसका उद्देश्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर योग व मेडिटेशन का सकारात्मक प्रभाव हो। ताकि स्वस्थ लोगों में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही बीमार लोगों में भी सत्यम कार्यक्रम के तहत शोध और अनुसंधान कार्य को बढ़ावा दिया जाएगा। बताया गया कि मानक और विशिष्ट योग प्रोटोकॉल की स्थापना स्वस्थ शरीर व दिमाग के लिए प्रक्रियाओं को बाहर लाने को वैज्ञानिक अनुसंधान विश्लेषण करते हैं।
चिकित्सकों से मांगे गए शोध
विभाग की ओर से वैज्ञानिक पहलुओं में पूर्व शोध का अनुभव रखने वाले वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और योग चिकित्सकों से सत्यम कार्यक्रम के तहत शोध प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं। इसके लिए विषय वस्तु शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और अच्छी तरह से योग और ध्यान के प्रभाव पर जांच, मूल के संदर्भ में शरीर और मन पर योग और ध्यान के प्रभाव पर जांच (2) प्रक्रियाओं और तंत्र के अतिरिक्त, वैज्ञानिक अध्ययन, जो प्रोटोकॉल के विकास और मानकीकरण रखे गए हैं।
तीन वर्षों की अवधि
भारतीय परिप्रेक्ष्य में मौजूदा ज्ञान के समेकन आदि को भी प्रोत्साहित किया गया है। इस परियोजना के लिए तीन वर्षों की अवधि सुनिश्चित की गई है। साथ ही परियोजना के प्रस्ताव को प्रारूप डीएसटी के वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया है। प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल है।