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शनि पुष्य संयोग में कल शुरू होगा गुप्त नवरात्र

आषाढ़ मास का गुप्त नवरात्र कल शनिवार को शनि पुष्य संयोग में शुरू होगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 07:00 AM (IST)
शनि पुष्य संयोग में कल शुरू होगा गुप्त नवरात्र
शनि पुष्य संयोग में कल शुरू होगा गुप्त नवरात्र

मुजफ्फरपुर। आषाढ़ मास का गुप्त नवरात्र कल शनिवार को शनि पुष्य संयोग में शुरू होगा। इस बार देवी आराधना का पर्व आठ दिनों का रहेगा। 21 जुलाई को नवमी पर सुबह छह से नौ बजे तक सर्वार्थसिद्धि योग का महासंयोग रहेगा। इस मौके पर शक्तिपीठों में विशेष पूजा-अर्चना होगी। साधक मनोवाछित फल की प्राप्ति केलिए गुप्त साधना करेंगे। जूरन छपरा स्थित महामाया स्थान के आचार्य रंजीत नारायण तिवारी व आचार्य धीरज शर्मा बताते हैं कि पंचांगीय गणना के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष का गुप्त नवरात्र 14 जुलाई को शुरू होगा। इस दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। कुछ पंचागों में इस दिन प्रतिपदा का क्षय बताया गया है। संयोग यह भी है कि नवरात्र आठ दिनों का होने से इस बार नवमी तिथि भी शनिवार को ही आ रही है।

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मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्र सबसे पवित्र व सिद्ध

रामदयालु स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पं.रमेश मिश्र बताते हैं कि मां भगवती दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए वर्ष के सबसे पवित्र और सिद्ध दिन नवरात्र के माने गए हैं। इन दिनों में देवी अपने भक्तों और साधकों पर पूर्ण कृपा बरसाती हैं। जो लोग जीवन में धन, मान, सुख, संपत्ति, वैभव और सासारिक सुखों को पाना चाहते हैं, उन्हें देवी के सिद्ध दिनों में साधना जरूर करना चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्र की तरह ही पूजन करने का विधान है। इन दिनों भी 9 दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा यानी पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम मा की आराधना करनी चाहिए।

ये हैं गुप्त नवरात्र की देवियां

मां काली, मां तारा, मां त्रिपुरसुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्तिका, मां त्रिपुर भैरवी, मां धुमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और कमला देवी।

तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए खास दिन

ब्रह्मापुरा स्थित बाबा सर्वेश्वरनाथ मंदिर सह महामाया स्थान के आचार्य पं.अभिनय पाठक बताते हैं कि देवी भागवत पुराण के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं। शारदीय व वासंतिक नवरात्र के अलावा दो नवरात्र माघ व आषाढ़ माह में आते हैं, जिन्हें गुप्त नवरात्र के नाम से जाना जाता है। इसमें देवी के दस महाविद्या स्वरूप की साधना की जाती है। जो साधक तंत्र-मंत्र की सिद्धिया प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए गुप्त नवरात्र के दिन खास होते हैं। इनमें वे साधक गुप्त स्थान पर रहते हुए देवी के विभिन्न स्वरूपों के साथ दस महाविद्याओं की साधना में लीन रहते हैं। इस दौरान साधक को बेहद कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है।


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