स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ा रहा सदर अस्पताल
सदर अस्पताल परिसर में स्व'छता अभियान की रस्म अदायगी ही की जा रही है।
मुजफ्फरपुर। सदर अस्पताल परिसर में स्वच्छता अभियान की रस्म अदायगी ही की जा रही है। कुष्ठ विभाग में गंदगी का साम्राज्य है। कहीं कूड़े के ढेर लगे नजर आए तो कहीं जलजमाव परेशानी बनी है। हालांकि पूरे परिसर को स्वच्छ रखने के लिए सरकार की ओर से काफी राशि खर्च की जा रही है। साथ ही सिविल सर्जन ने पिछले दिनों सफाई अभियान चलाकर कर्मियों को जागरूक भी किया। बावजूद इसके ढाक के तीन पात वाली कहावत यहां चरितार्थ हो रही है। सोमवार को ऑन द स्पॉट के तहत दैनिक जागरण की टीम ने परिसर की पड़ताल की तो कुछ ऐसा ही नजारा यहां दिखाई दिया।
सर, एक नजर इधर भी
जिला कुष्ठ निवारण कार्यालय के नीचे महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड सेंटर, डिजिटल एक्सरे के साथ पैथोलॉजी सेंटर है। वहां मौजूद मरीजों के परिजन ने बताया कि यहां पर दो-दो बाथरूम बने हैं। लेकिन, इनमें एक में पानी नहीं है। गंदगी से जाम हो गया है। दूसरे बाथरूम के बाहर अलमारी रखकर इसे बंद कर दिया गया है। इससे जांच व अल्ट्रासाउंड को आने वाली महिला मरीजों की परेशानी का अंदाज लगाया जा सकता है। साथ ही पूरे परिसर में जगह-जगह पर कूड़े के ढेर सीढ़ी के नीचे व आसपास नजर आए।
जल की बर्बादी व गंदगी की मार
सदर अस्पताल परिसर में जगह-जगह गंदगी व जलजमाव है। मरीजों के निबंधन काउंटर के पास टंकी से दिनभर पानी गिरता रहता है। इससे जहां जलजमाव की स्थिति बनी रहती है वहीं पानी की भी बर्बादी हो रही है। नाला जाम होने से दुर्गध से लोग परेशान हो रहे हैं। महिला वार्ड के आगे व पीछे भी दिनभर पानी गिरता रहता है। नाली जाम व जगह-जगह गंदगी का अंबार। चिकित्सा कराने आए मोतीपुर के भुवन ने बताया कि गंदगी से मरीज के साथ आए परिजन को भी बीमार होने का खतरा बना रहता है। वहीं, अस्पताल परिसर में बना जेनरिक दवा सेंटर गंदगी के बीच जंगल में तब्दील हो गया है।
नहीं बना प्रमाणपत्र, मायूस हो लौटे
सदर अस्पताल में आए दिव्यांग मूकबधिर छात्र इफ्तेखार अहमद, सोनू कुमार, शमशाद अहमद, दीपक कुमार, विकास कुमार इधर-इधर भटकते रहे। इशारे में बातचीत हुई। सबने अपना फॉर्म दिखाते हुए कहा कि प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटक रहे हैं। किसी से मुलाकात नहीं हुई। वापस जा रहे है। सबने कागज पर लिखकर अपनी समस्या रखी।
समय से पहले काउंटर बंद, भटकते रहे मरीज
सदर अस्पताल में मोनी देवी, भोलू मियां ने बताया कि आउटडोर में इलाज कराने आए थे, लेकिन यहां पर 11:45 बजे ही पर्ची मिलना बंद हो गई। इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अंतत: बिना इलाज के ही वापस हो गए। मालूम हो कि ओपीडी का समय सुबह आठ से दोपहर 12 बजे तक है। सिविल सर्जन डॉ. ललिता सिंह ने बताया कि स्वच्छता और मरीजों को मिलनेवाली सुविधाओं को लेकर समय-समय पर स्वयं निरीक्षण करती हैं। मरीजों की जो शिकायत है उसके संबंध में स्वास्थ्य प्रबंधक से रिपोर्ट मांगी गई है। दोषी मिलने पर जवाबदेह पर कार्रवाई की जाएगी।