जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर: अव्यवस्था और झोलाछाप की मारी सुनीता कुमारी की तबीयत में उतार-चढ़ाव जारी है। अपनी दोनों किडनी गंवाने वाली सुनीता को गुरुवार को ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम से तो हटा लिया गया, मगर डायलिसिस नहीं हो सकी। यही नहीं, चिकन पॉक्स से पीड़ित होने के बाद उसे डेंगू आइसीयू में भर्ती किया गया,
लेकिन यहां चिकित्सक द्वारा न देखे जाने पर पति अकलू राम सुनीता को नीम के पत्तों से हवा करता
रहा।
यह स्थिति राज्य के अस्पतालों की दशा सुधारने के लिए मिशन 60 और गुणवत्तापूर्ण इलाज के अभियान की पोल खोल रही है।
नेफ्रोलॉजिस्ट नहीं तो टेक्नीशियन कर रहे डायलिसिस
सकरा में गर्भाशय के ऑपरेशन के दौरान झोलाछाप डॉक्टर ने सुनीता की दोनों किडनी भी निकाल दी थी। इसके बाद से उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है। वहीं, चिकन पॉक्स से भी पीड़ित हो जाने के कारण उसको बुधवार को सांस लेने में परेशानी की शिकायत के बाद ऑक्सीजन लगाया गया था। आज ऑक्सीजन सपोर्ट से हटाते हुए सुनीता को डायलिसिस के लिए ले जाया गया, लेकिन हालत ज्यादा बिगड़ने पर डायलिसिस को रोकना पड़ा। नेफ्रोलॉ
जिस्ट डॉ. धर्मेंद्र कुमार का अनुबंध खत्म होने के बाद से अस्पताल में टेक्नीशियन द्वारा ही डायलिसिस की जा रही है।
डेंगू आइसीयू में नीम के पत्ते से इलाज कर रहा पति
सुनीता का आरोप है कि कोविड आइसीयू से डेंगू आइसीयू में शिफ्ट किए जाने के बाद से उसे किसी डॉक्टर ने नहीं देखा है। उसका पति उसके पास बैठकर नीम के पत्तों का पंखा डुलाता रहा। आइसीयू में रो रही सुनीता को वीडियो कॉल से रिश्तेदार और स्वजन जल्द स्वस्थ होने का दिलासा दे रहे थे। उसके चिंतित पति अकलू राम ने बताया कि सुनीता को कोई डॉक्टर नहीं देख रहा है, अब लग रहा है कि कोई देखने वाला नहीं है।
मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अकील अहमद मुमताज का कहना है कि सुनीता को किडनी ट्रांसप्लांट शीघ्र किए जाने की जरूरत है। अस्पताल अधीक्षक डा. बीएस झा ने बताया कि उसको अस्पताल में मौजूद हरसंभव सहायता प्रदान की जा रही है और उसके स्वास्थ्य पर विभाग लगातार नजर बनाए हुए है। उन्होंने बताया कि सुनीता को बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर किया जा रहा था, लेकिन वह स्वेच्छा से यहां इलाज करवा रही है।