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Eid-ul-Azha : कुर्बानी आज, घरों पर अदा होगी नमाज, इस दौरान इन बातों का रखें ख्याल

Eid-ul-Azha लॉकडाउन से उमंग फीकी आर्थिक तंगी से कुर्बानी में 40 फीसद कमी की उम्मीद। उलेमाओं ने की सरकार व प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 09:28 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 09:28 AM (IST)
Eid-ul-Azha : कुर्बानी आज, घरों पर अदा होगी नमाज, इस दौरान इन बातों का रखें ख्याल

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। ईद-उल-अजहा (कुर्बानी) का तीन दिवसीय पर्व शनिवार से शुरू होगा। मुस्लिम समुदाय अल्लाह की राह में जानवरों की कुर्बानी करेंगे। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर सरकार द्वारा किए गए लॉकडाउन और आर्थिक तंगी से इस बार करीब 40 फीसद कम जानवरों की कुर्बानी का अनुमान है। शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए ईदगाह व मस्जिदों में भी सामूहिक नमाज अदा नहीं की जाएगी। घरों में ही नमाज अदा करने की अपील उलेमाओं ने की है। गौशाला ईदगाह के इमाम व मदरसा जाम-ए-उल उलूम के मुफ्ती मो. इकबाल अहमद ने कहा कि सरकार के निर्देशों का पालन करें। नमाज घरों पर ही अदा करें और जानवरों की कुर्बानी करते समय भी शारीरिक दूरी का पालन करें। इस दौरान गरीबों व मोहताजों का खास ख्याल रखें। इधर, पर्व को लेकर शुक्रवार को कंपनीबाग, पक्की सराय आदि बकरा बाजार में रौनक रही। लोग देर रात तक आवश्यक चीजों की खरीदारी करते रहे। लोगों ने अपनी हैसियत के अनुसार खरीदारी की।

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इन बातों का रखें ख्याल

- कुर्बानी के जानवर को भूखा-प्यासा नहीं रखें।

- कुर्बानी की जगह उसे घसीटकर नहीं ले जाएं।

- उसे आराम से लिटाएं, सख्ती नहीं करें।

- किबला रुख बाएं करवट लिटाएं कि जान आसानी से निकल सके।

- तेज छुरी से कुर्बानी करें, जानवर के सामने छुरी तेज नहीं करें।

- एक के सामने दूसरे जानवर की कुर्बानी नहीं करें।

- कुर्बानी होने के बाद उसे पूरी तरह शांत होने दें, उसके बाद ही चमड़ा निकालें या गर्दन अलग करें।

- कुर्बानी अपने हाथ से करना बेहतर है, नहीं तो सामने मौजूद रहें।

- इसके गोश्त को तीन हिस्सों में बांटें। पहला गरीबों के लिए, दूसरा रिश्तेदारों व तीसरा खुद के लिए रखें।

इन जानवरों की कुर्बानी जायज नहीं

- ऐसा जानवर जो अंधा या भैंगा हों।

- ऐसा जानवर जो दुबला-पतला व कमजोर हो।

- लंगड़ा जानवर जो जबह होने की जगह तक चलकर नहीं जा सकें।

- जिसके दांत बिलकुल नहीं हों।

- जिस जानवर के सींग जड़ से टूट गए हों। यानी खोल के बाद उसका गुदा भी टूट गया हो। चोट का असर दिमाग तक हो, तो उसकी कुर्बानी जायज नहीं। अगर सिर्फ ऊपर का खोल उतरा हो और अंदर का गुदा सही सलामत हो तो उसकी कुर्बानी दुरुस्त है। इसी तरह अगर किसी जानवर का सींग बीच से टूटा हो या पैदाइशी नहीं हो तो उसकी भी कुर्बानी दुरुस्त है।

- ऐसे जानवर जिसकी जुबान कट गई हो और इससे उसे खाने में रुकावट होती हो।  


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