चमन प्रोजेक्ट से जुड़ेगी लीची, पैदावार में आएगी क्रांति, तलाशी जा रही उत्पादन की संभावना
रिमोट सेंसिंग से जमीन हो रही चिह्नित। डाटा बेस तैयार कर विकसित की जाएगी नर्सरी। को-आर्डिनेटेड हॉर्टिकल्चर असेसमेंट एंड मैनेजमेंट यानी चमन प्रोजेक्ट तैयार हुआ है।
मुजफ्फरपुर, [मुकेश कुमार 'अमन']। स्वाद और गुणवत्ता के लिए दुनियाभर में मशहूर मुजफ्फरपुर की लीची देश के अन्य हिस्सों में भी पहचान स्थापित करेगी। इसके लिए को-आर्डिनेटेड हॉर्टिकल्चर असेसमेंट एंड मैनेजमेंट यानी चमन प्रोजेक्ट तैयार हुआ है। इसे लीची की पैदावार में नई क्रांति के रूप में देखा जा रहा। वैज्ञानिक पद्धति से इसपर काम शुरू हो गया है। रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से देश के अन्य हिस्सों में लीची उत्पादन की संभावना तलाश की जा रही।
उस क्षेत्र का डाटा बेस तैयार कर नर्सरी विकसित होगी। मध्यप्रदेश के बैतूल में टीम संभावनाएं देखने गई थी। वहां का एरिया डेवलप हो लीची उत्पादन से जुड़ सकता है।चमन प्रोजेक्ट के तहत हॉर्टिकल्चर के आठ कमोडीटिज में लीची शामिल नहीं थी। लीची को उसको साथ जोडऩे का प्रयास शुरू है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक की कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक व प्रजेंटेशन हो चुका है। चमन के लिए पूरी वैज्ञानिक पद्धति अपनाई जा रही।
संभावित क्षेत्र की सेटेलाइट से मैपिंग
देश में लीची की संभावनाएं कहां उपयुक्त हैं, उसकी पहचान के लिए सेटेलाइट से मैपिंग होगी। इसमें जो इमेज आएगी, उसे ग्राउंड पर वेरीफाइ की जाएगी। प्रत्येक साइट पर यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। उसे जिओ रेफ्रेंसिंग कहते हैं, जिससे भारत वर्ष का नक्शा लिया जाता है। जब ये पता चल जाएगा कि फलां जगह पर लीची की संभावना है तो नेशनल ब्यूरो ऑफ स्वॉयल सर्वे एंड लैंड यूज प्लानिंग होगी।
इस प्रकार लीची सुटेबिलिटी मैप ऑफ द कंट्री तैयार होगी। इसी आधार पर उनके भंडारण और आगे विपणन आदि की योजना भी बनाई जाएगी। इसके व्यवस्थित होने पर देशभर में लीची की पैदावार हो सकेगी और तब मुजफ्फरपुर पर निर्भरता खत्म होगी।
फिलहाल 10 राज्यों में लीची उत्पादन
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के मुजफ्फरपुर में स्थापित होने से पहले बिहार के कुछेक जिलों में ही लीची होती थी। मुजफ्फरपुर, वैशाली, मोतिहारी, बेतिया, सीतामढ़ी व समस्तीपुर में पर्याप्त मात्रा में तो बेगूसराय, भागलपुर, गोपालगंज, सिवान, कटिहार, पूर्णिया में भी छिटपुट उत्पादन है। जबकि, अब 10 राज्यों में इसका दायरा बढ़कर पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, उत्तराखंड, केरल, छत्तीसगढ़, झारखंड में लीची की पैदावार होने लगी है।
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी के निदेशक डॉ. विशाल नाथ ने कहा कि चमन एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। इससे लीची उत्पादन में क्रांति आएगी। अन्य हिस्सों में कहां की मिट्टी और जलवायु लीची के लिए उपयुक्त है, उसे सामने लाना मकसद है। उन हिस्सों में पोटेंशियल एरिया चिह्नित हो गई तो लीची का दायरा बढ़ेगा।