Move to Jagran APP

नौकरी अकेले के लिए, उद्योग से बदलेगी 10 की जिंदगी...मुजफ्फरपुर की रेखा इस सोच के साथ बांट रही खुशहाली

मुजफ्फरपुर की रेखा बिहानी ने हमेशा 10 लोगों के कल्याण की चिंता की। इस सोच ने उन्हें आगे बढ़ने में काफी मदद किया। आज वह शहर की सफल उद्यमी मानी जाती हैं। उनका काम रोजगार देने के साथ ही साथ पर्यावरण को बचाने की दिशा में भी ठोस कदम है।

By Amrendra TiwariEdited By: Ajit kumarPublished: Tue, 27 Sep 2022 12:13 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 12:13 PM (IST)
नौकरी अकेले के लिए, उद्योग से बदलेगी 10 की जिंदगी...मुजफ्फरपुर की रेखा इस सोच के साथ बांट रही खुशहाली
रेखा अपने यहां महिलाओं को प्राथमिकता देती हैं। फोटो सौ.- स्वयं

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। बेला औद्योगिक क्षेत्र में पहचान बनाने वाली उद्यमी रेखा बिहानी विपरीत परिस्थितियों से जूझकर जीवन में सफलता प्राप्त की हैं। उन्होंने अपना उद्यम स्थापित कर स्वयं के साथ अन्य लोगों को भी रोजगार दे रही हैं। उनके लिए स्वावलंबन की राह तैयार की है। इनसे प्रेरित होकर अब मुजफ्फरपुर के दूसरे इलाके में युवा स्वरोजगार से जुड़ रहे हैं। हम बात कर रहे हैं महिला उद्यमी रेखा बिहानी की।

loksabha election banner

सब मेहनत से सफल हुआ

बेला इलाके में रहने वाले रेखा अपनी संघर्ष की कहानी पर पहले भावुक हो जाती हैं। उसके बाद फिर बात करते हुए गौरवान्वित भी। रेखा ने 2007 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। बताती हैं कि परिवार व दोस्तों का सुझाव आया कि नौकरी कर लीजिए, लेकिन मन में विचार आया कि नौकरी तो वह कर लेंगी। जब अपना उद्योग-धंधा होगा तो कई लोग को रोजगार मिलेगा। फिर था कि किस चीज का उद्योग लगे।

पर्यावरण संरक्षण और रोजगार साथ-साथ

बाजार में घूमने के दौरान देखने को मिला कि घर में लोग प्लास्टिक कि टूटी कुर्सी व टेबल को इधर-उधर फेंक देते हैं। इससे पर्यावरण का संकट भी होता है। उसके बाद पर्यावरण संरक्षण के साथ रोजगार को लेकर बेला औद्योगिक परिसर में एक प्लास्टिक रिसाइकिलिंग का उद्योग लगाया। पहले मार्केटिंग का संकट लगा। वह भी संकट खत्म हुआ। अब जितना उत्पादन होता परिसर में ही उसकी खपत हो जाती है। रेखा की मानें तो जब यह काम शुरू कर रही थी तो तरह-तरह की बात लोग करते थे। कोई कहता कि लड़की होकर कैसे उद्योग चला पाएगी। कोई कहता कि कहीं नौकरी कर लो। परिवार के लोगों का सहयोग मिला।

युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत

ताना की परवाह किए बिना यूनिट लगाकर सफलता से संचालन कर रही हैं। रेखा ने बताया कि अभी उनके यहां पर दस लोगों को रोजगार मिला है। इसमें चार महिलाएं हैं। पूर्णिया, सीतामढ़ी इलाके के कई युवा उद्यमी संपर्क कर काम को देखने के बाद अपना उद्योग लगाकर काम कर रहे हैं। अब वह अपने साथ यहां के बाकी उद्यमियों की समस्या को लेकर विभाग से पहल करने के साथ आंदोलन करने से भी पीछे नहीं रहती। रिसाइकिल कर प्लास्टिक दाना तैयार हो रहा है। इससे प्लास्टिक के विभिन्न सामान बनते हैं। प्रतिदिन 800 से एक हजार किलो का उत्पादन हो जाता है। 2009 से इनकी यूनिट लगातार काम कर रही है। अब इस औद्योगिक इलाके में सब सम्मान करते हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.