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Raksha Bandhan 2022: रक्षाबंधन पर चीन के गुरूर को तोड़ेगी बहनों की घर में बनी रेशमी राखियां, दुकानों में स्वदेशी का चलन

Raksha Bandhan 2022 नरकटियागंज के दर्जनाें मार्गों में सजी राखियों की दुकानें। दुकानों पर दो रुपये से लेकर 200 सौ रुपये तक की राखी उपलब्ध। अधिकांश बहनें अपने घर में ही बना रही हैं राखी। कोरोना काल के बाद इस साल फिर व्यवसायियों में उत्साह।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 02:05 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 02:05 PM (IST)
Raksha Bandhan 2022: रक्षाबंधन पर चीन के गुरूर को तोड़ेगी बहनों की घर में बनी रेशमी राखियां, दुकानों में स्वदेशी का चलन
रक्षाबंधन को लेकर बाजारों में धूमधाम। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

नरकटियागंज (पचं), जासं। Raksha Bandhan 2022 पिछले दो वर्ष कोरोना का साया रक्षाबंधन पर पड़ा। लेकिन अब रक्षाबंधन को लेकर व्यवसायियों में उत्साह है और बिक्री के लिए बाजार भी सज कर तैयार है। हालांकि स्वदेशी राखी की डिमांड अधिक है। सभी महत्वपूर्ण मार्गों में स्टाल लगाकर रंग-बरंगे और आकर्षक राखियां बेची जा रही हैं। कई नाम से राखियां बिक रही हैं। एडी राखी, मोदी राखी, डोरी राखी, स्टोन राखी, लाइट राखी, म्यूजिकल राखी की उपलब्ध है। बच्चों के लिए लुंबा, गोलू आदि कई कार्टून, नक्शा की राखी बाजार में उपलब्ध हैं।

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समय के साथ लोगों की बदल रही पसंद

थोक विक्रेता गुड्डू कुमार और छोटू कुमार ने बताया कि कोरोना के कारण दो वर्ष राखी का व्यवसाय काफी प्रभावित हुआ। कई दुकानदार बेरोजगार हो गए और कई लोगों ने अन्य धंधों को अपना लिया। जबकि कई नए दुकानदारों ने राखी के व्यवसाय को शुरु किया है। दुकानें अधिक हो जाने के कारण अब यह धंधा अधिक लाभकारी नहीं रहा। समय तेजी से बदल रहा है लोगों की पसंद भी बदल रही है। अपने यहां बनी राखियां आकर्षक है और उसे लोग पसंद कर रहे हैं।

राखी के खुदरा विक्रेता राजीव कुमार और विकी कुमार का कहना है कि अभी बिक्री न के बराबर है। दो रुपये से लेकर दो सौ रुपये तक की राखी लाए हैं। धीरे धीरे ग्राहक पहुंच रहे हैं। बता दें कि भाई बहनों की अटूट प्यार किस पर्व के लिए नगर के महात्मा गांधी रोड आर्य समाज रोड मस्जिद रोड समित दर्जन अधिक मार्गों में राखी की दुकानें सजी हुई हैं।

बहनें बना रही रेशम की डोरी की राखी

बदलते परिवेश में लोगों में जागरूकता काफी आई है। इसको लेकर अधिकांश बहनें अपने भाईयों के लिए घर में राखियां बना रही हैं। स्नातक की छात्रा पल्लवी ने बताया कि चायनीज राखियां बाजार में पहले आकर्षक ढंग की दिखती थीं और उसका डिमांड भी था। अब बहनें खुद से राखी बना ले रहीं हैं और वह बाजार की राखी से आकर्षक होता है।

शिक्षिका साधना कुमारी ने बताया कि इस बार बहनों ने चीन का गुरूर तोडऩे का निर्णय लिया है। इस लिए अधिकांश बहनें अपने घर में राखी बना रही हैं। इंटर की छात्रा साधना ने कहा कि बहन की बनाई राखी भाई के कलाई पर सजेगी तो उसमें अटूट विश्वास होगा। इसलिए मैं पिछले पांच वर्ष से खुद से राखी बनाकर अपने भाईयों को बांधती हूं।


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