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शिवहर के राकेश ने महिलाओं के हक के साइकिल से की पूरे देश की यात्रा

महिलाओं की हक के लिए देशभर में चलाया जागरूकता अभियान। देश का पहला ग्रीन स्कूल खोलने की तैयारी में जुटे है राकेश। लंबे समय यायावर की जिंदगी जीने वाले राकेश को 2016 में एक अमेरिकन कंपनी (जेंडर कनेक्ट) ग्लोबल जेंडर हीरो के खिताब से नवाज चुकी है।

By Ajit kumarEdited By: Published: Wed, 27 Jan 2021 10:11 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jan 2021 10:11 AM (IST)
शिवहर के राकेश ने महिलाओं के हक के साइकिल से की पूरे देश की यात्रा
राकेश ने महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने का निर्णय लिया। फोटो : जागरण

शिवहर, [ नीरज]। महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने और इसके लिए सामाजिक बदलाव के लिए शिवहर जिला निवासी राकेश कुमार सिंह साइकिल से देश का कोना-कोना नाप चुके हैं। 20 राज्यों में भ्रमण कर कर 27 हजार किमी की दूरी साइकिल से माप चुके तरियानी छपरा निवासी राकेश अब राकेश राइडर के नाम से जाने जाते हैं। लंबे समय यायावर की जिंदगी जीने वाले राकेश को 2016 में एक अमेरिकन कंपनी (जेंडर कनेक्ट) 'ग्लोबल जेंडर हीरो' के खिताब से नवाज चुकी है। 

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कुंभ के दौरान तेजाब हमले की पीड़िता के दर्द को देख राकेश ने महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने साइकिल से देश भ्रमण का निर्णय लिया। 15 मार्च, 2014 में चेन्नई से इसकी शुरुआत की। वह तमिलनाडु, केरल, पांडिचेरी, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, झारखंड, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश समेत 20 राज्यों की 27 हजार किमी की दूरी तय कर वर्ष 2018 में शिवहर में इसका समापन किया। 57 महीने के सफर में राकेश ने दस लाख लोगों से प्रत्यक्ष तौर पर मुलाकात की। वहीं अभियान के लिए समर्थन प्राप्त किया। देशस्तर की एथलीट पीटी उषा, सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस बीआर कृष्णा अय्यर, नारीवादी आंदोलन के लिए विश्व में चर्चित कमला भसीन, जेएनयू की राजनीतिक शास्त्र की प्राध्यापिका सह विद्वान प्रो. निवेदिता मेनन व दक्षिण भारत की चर्चित कवियित्री रजती सलमा आदि ने भी उनके मिशन को सराहा था।

कुंभ मेले के दौरान लिया संकल्प

राकेश कुमार सिंह, शिवहर जिले के तरियानी छपरा निवासी सत्यदेव सिंह के पुत्र है। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई अरुणाचल प्रदेश में हुई। वहां उनके पिता बिल्डर रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की है। राकेश की मुलाकात वर्ष 2013 में इलाहाबाद कुंभ मेले में तेजाब हमले से पीडि़त एक महिला से हुई। आपबीती सुन वे इतना उद्वेलित हुए कि महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने का निर्णय ले लिया। और 'राइड फॉर जेंडर फ्रीडम' के तहत साइकिल से देश भ्रमण का निर्णय लिया। 15 मार्च 2014 में चेन्नई से शुरुआत की। एक तेजाब पीडि़ता ने ही साइकिल यात्रा को हरी झंडी दिखाई। राकेश ने इलाहाबाद में लगे कुंभ मेले को केंद्र में रखकर 'बम शंकर टन्न गणेश' नामक पुस्तक भी लिखी है। यह पुस्तक मौखिक इतिहास राकेश ने इलाहाबाद में लगे कुंभ मेले को केंद्र में रखकर 'बम शंकर टन्न गणेश' नामक पुस्तक भी लिखी है। यह पुस्तक मौखिक इतिहास है। राकेश ने गांव आने के बाद जो कुछ अनुभव किया, उसे किताब का रूप दिया है। वैसे उनकी कई पुस्तकें अभी पाइपलाइन में है।

धुन के पक्के और इरादे हैं मजबूत

राकेश से राकेश राइडर बने राकेश कुमार सिंह धुन के पक्के है। उनके इरादे भी मजबूत है। एक इतिहासकार, दार्शनिक, आंदोलनकारी और समाजसेवी समेत कई तरह के अनुभव को अपने अंदर समेटे यह इंसान अपनी नहीं केवल समाज की सोंचता है। वह जो ठान लेते है उसे करके ही दम लेते है। यही वजह हैं कि राइड फॉर जेंडर फ्रीडम के समापन के बावजूद वह देश के सबसे छोटे, जटिल, गरीब और उपेक्षित इलाके को अपनी कर्मस्थली बना लिया। वह वर्ष 2018 से शिवहर के विकास के लिए लगातार आंदोलन भी करते रहे हैं। तरियानी छपरा स्थित शहीद स्मारक के विकास के लिए उनके एक बुलावे पर जेएनयू, शांति निकेतन, काशी विवि, त्रिपुरा विवि की फैकल्टी की टीम शिवहर पहुंच गई और बगैर पैसे के शहीद स्थल पर 11 शहीदों की प्रतिमा बना गई। तरियानी का यह शहीद स्मार क देश का पहला स्मारक है जहां 11 शहीदाें की मूर्तियां है। राकेश ने यहां एक पुस्तकालय की भी स्थापना कराई है।

देश का पहला ग्रीन स्कूल खोलने की तैयारी

राकेश राइडर इन दिनों स्कील बेस्ड शिक्षण संस्थान खोलने की तैयारी में है। नाम दिया है बागमती विद्यापीठ। इसे निकट भविष्य में विवि का भी दर्जा दिलाने की कोशिश होगी। वैसे यह स्कूल देश का पहला ग्रीन स्कूल होगा। मकसद हैं कि, इस शिक्षण संस्थान में दुनियाभर से लोग आए, सीखे और सिखाए। बताते हैं कि सफल जिंदगी को जीने के लिए जिस कौशल की जरूरत है उसी कौशल पर आधारित यह संस्थान होगा। बाद में इसे विवि का दर्जा दिलाएंगे। जहां साहित्य, कला, चिकित्सा सबकी व्यवस्था होगी। बताते हैं कि शिवहर का इलाका देश का सबसे जटिल इलाका है। समाज और सोच सब जटिल है। इलाके की तस्वीर बदलने के लिए उन्होंने शिवहर को चुना है। बताते हैं कि बेटियां आज भी कोख में ही मार दी जाती हैं। उनपर तेजाबी हमले, बलात्कार, घरेलू हिंसा सहित अन्य जुल्म बदस्तूर जारी है। इस रोकने के लिए सबको आगे आना होगा।


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