Move to Jagran APP

मुजफ्फरपुर की 'किसान चाची' को पद्म श्री, बिहार सरकार ने किया था किसान श्री से सम्मानित

बिहार सरकार ने वर्ष 2007 में किसान श्री से सम्मानित किया। अहमदाबाद में राजकुमारी देवी की लगन की तारीफ नरेंद्र मोदी ने भी की थी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 26 Jan 2019 12:10 AM (IST)Updated: Sat, 26 Jan 2019 12:10 AM (IST)
मुजफ्फरपुर की 'किसान चाची' को पद्म श्री, बिहार सरकार ने किया था किसान श्री से सम्मानित

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। घर की दहलीज के पार खेत में कदम रख सरैया प्रखंड के आनंदपुर गांव की राजकुमारी देवी पहले 'साइकिल चाचीÓ और फिर 'किसान चाचीÓ बनीं। पहले उन्हें किसानश्री और अब पद्मश्री से नवाजा गया है। राजकुमारी देवी समाज के लिए आदर्श बन गई हैं। घर से बाहर कदम रखने पर जिसने ठुकराया था, वही समाज व परिवार आज उनके कारण अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

loksabha election banner

जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर सरैया प्रखंड का आनंदपुर गांव। यहां के एक घर का कोना-कोना कृषि उत्पादों से अटा पड़ा है। आम, अदरख, ओल के अचार तो आंवला व बेल के मुरब्बे की खुशबू आपको बरबस यहां खींच लेगी। छोटी सी किसानी से भी परिवार कैसे खुशहाल हो सकता है, यह घर इसकी मिसाल है।

 इसके पीछे है राजकुमारी देवी का त्याग। शादी के नौ वर्ष तक संतान नहीं होना और पति की बेरोजगारी के कारण घर की दहलीज से बाहर कदम रखने वाली एक बहू को समाज व परिवार से बहिष्कृत कर दिया गया था।

मगर, उस बहू की दृढ़ इच्छाशक्ति को उसी समाज ने आज किसान चाची का न केवल नाम दिया, बल्कि सम्मान भी।

खेत में रखा कदम

राजकुमारी कहती हैं, करीब 15 वर्ष की उम्र में शादी हो गई। शिक्षक पिता ने प्यार से पाला था, मगर ससुराल में स्थिति उलट थी। जब तक कुछ समझते परिवार ने अलग कर दिया। सिर्फ जमीन से परिवार चलाना संभव नहीं था।

शादी के कई वर्ष तक संतान नहीं होने के कारण पहले से तिरस्कार झेल रही थी। उस पर से खेती शुरू की। परिवार के साथ अब समाज ने बहिष्कृत कर दिया। मगर, राजकुमारी के कदम नहीं रुके। उन्होंने खेती के साथ छोटे-मोटे कृषि उत्पाद बनाने शुरू किए। साइकिल उठाई और मेला-ठेला व घर-घर जाकर इसकी बिक्री शुरू की। भूखे रहने पर नहीं पूछने वाला समाज दो रोटी कमाने के इस तरीके पर और सख्त हो गया। यहां तक कि अबकी बार पति भी नाराज। पति अवधेश कुमार चौधरी कहते हैं, साइकिल से सामान बेचना अच्छा नहीं लगा।

बढ़ता गया कारवां

रूढि़वादी समाज जैसे-जैसे सख्त हो रहा था राजकुमारी का संकल्प उतना ही मजबूत हो रहा था। कुछ बेहतर करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण लिया। पूसा कृषि विश्वविद्यालय से जुड़कर आधुनिक तरीके से खेती के गुर सीखे। अचार व मुरब्बे के काम को बढ़ाया। आसपास की महिलाएं व युवतियों को प्रशिक्षण दिलाकर इस काम में लगाया। स्थिति बदलने लगी। दो बेटी व एक बेटा के रूप में तीन संतानें भी जन्म लीं।

 महज डेढ़ सौ रुपये से शुरू किया गया कारोबार बढ़ता गया। इसके साथ ही नाम भी। बिहार सरकार ने वर्ष 2007 में किसानश्री से सम्मानित किया। यह सम्मान पानी वालीं एकमात्र महिला थीं। इस सम्मान के बाद ही 'साइकिल चाचीÓ का नाम किसान चाची हो गया।

प्रशंसकों में नरेंद्र मोदी, नीतीश व बिग बी भी

अचार व मुरब्बे की खुशबू की तरह किसान चाची का नाम भी फैलने लगा। अहमदाबाद में उनकी इस लगन की तारीफ नरेंद्र मोदी ने भी की। तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इनकी खेती व छोटे से कारोबार को देखने इनके घर आए। एक चैनल पर आयोजित कार्यक्रम 'आज की रात है जिंदगीÓ में अमिताभ बच्चन के साथ किसान चाची के कार्यक्रम का प्रसारण हो चुका है। कार्यक्रम के दौरान बिग बी उनसे खासे प्रभावित हुए।

...तब अमिताभ के फोन को समझ रही थीं मजाक

तब मैंने दिल्ली के प्रगति मैदान में अपना स्टॉल लगाया था। मोबाइल पर एक फोन आया। पति ने उठाया तो आवाज आई 'मैं अमिताभ बच्चन बोल रहा हूंÓ। लगा कोई मजाक कर रहा। पति ने फोन काट दिया। कई बार इसी आवाज से फोन आया। आजिज आकर वहां मौजूद एक अधिकारी को मोबाइल दिया।

 उन्होंने बात समझी। बताया गया कि एक कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर अमिताभ बच्चन बात करना चाह रहे हैं। बात हुई तो मुंबई बुलाया गया। बस क्या था, पकड़ ली मुंबई की फ्लाइट। कार्यक्रम के बाद पांच लाख रुपये, आटा चक्की व साडिय़ां किसान चाची को भेजे गए। राशि से कारोबार में काफी मदद मिली।

महिलाओं को नहीं देखें हीन भावना से

महिलाओं के प्रति समाज के दोहरे मापदंड आज भी किसान चाची को खलता है। कहती हैं, वे किसी से कम नहीं। बस साथ लेकर चलिए। फिर देखिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.