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पश्चिम चंपारण में बाढ़ के पानी में भी भिंडी की प्रजाति राधिका व रोहिणी कर रही कमाल

भिंडी की हाइब्रिड प्रजाति राधिका व रोहिणी बाढ़ के पानी में हो सकती है। खासियत यह है कि एक सप्ताह पानी जमे रहने के बाद भी पौधे नहीं गलते हैं। गोनाही गांव के किसान सुबास प्रसाद अपनी आधा एकड़ जमीन में भिंडी की खेती कर मिसाल कायम की है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 04 Sep 2021 01:08 PM (IST)Updated: Sat, 04 Sep 2021 01:08 PM (IST)
पश्चिम चंपारण में बाढ़ के पानी में भी भिंडी की प्रजाति राधिका व रोहिणी कर रही कमाल
नई प्रजाति की खेती कर लौरिया प्रखंड के गोनाही गांव के किसान पेश कर रहे मिसाल। फोटो- जागरण

साठी (पश्चिम चंपारण), [सत्येन्द्र तिवारी]। यदि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हो और उसमें अन्य सब्जियों की खेती की संभावना नहीं हो, तो बरसाती भिंडी किसानों को समृद्धि की ओर ले जाएगी। भिंडी की हाइब्रिड प्रजाति राधिका व रोहिणी बाढ़ के पानी में हो सकती है। प्रजाति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक सप्ताह पानी जमे रहने के बाद भी इसके पौधे नहीं गलते हैं। पश्चिम चंपारण के लौरिया प्रखंड के बहुअरवा पंचायत में गोनाही गांव के किसान सुबास प्रसाद अपनी आधा एकड़ जमीन में भिंडी की खेती कर एक अन्य लोगों के लिए मिसाल कायम किया है। उनकी भिंडी की खेती अन्य किसानों के लिए मॉडल बन रही है। एक वर्ष पूर्व शुरुआत में उनके परिवार के लोगों ने इस खेती करने से मना किया। क्योंकि इस क्षेत्र में अधिक बाढ़ आने से खेतों में पानी भर जाता है। जिसको देखते हुए प्रयोग के तौर पर बरसाती भिंडी की खेती करने की ठान ली। अब जब इसके अच्छे परिणाम मिलने लगे, तो किसान भी उत्साहित हैं और उनकी घर गृहस्थी की माली हालत में सुधार आने लगी है।

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सात हजार की लागत में प्रतिदिन पांच सौ से एक हजार हो रही आमदनी

किसान सुबास की मानें तो मात्र आधा एकड़ खेती करने में सात हजार रुपये की लागत आई और आज एक दिन के अंतराल पर पांच सौ से एक हजार रुपये की आमदनी कर रहे हैं। खेती से जुड़े उनका अनुभव बताता है कि एक भिंडी की खेती से एक दिन अंतराल पर 40 से 60 किलो निकल जाता है, जिसका बाजार मूल्य पंद्रह से बीस रुपये किलो थोक भाव मे बिक जाता है। उससे करीब तीस से चालीस हजार की आमदनी महीने में हो जा रही है। वही किसान बताते है कि 29 मई को खेत तैयार कर उसमें बीज की बुवाई कराई और 20 जुलाई से फलना शुरू हो गया है।

अन्य किसान भी भिंडी खेती पर दे रहे हैं जोर

सुबास प्रसाद की खेती को देख अन्य छोटे- छोटे किसान भी इस खेती पर जोर देने लगे हैं। अच्छी कमाई व कम लागत का जरिया बना भिंडी की खेती पर अब छोटे किसान देखा देखी लक्ष्मी महतो,बृजलाल महतो, हरी महतो, रामेश्वर महतो भी दो से तीन कठ्ठा जमीन में खेती कर अच्छी कमाई करने मे लगे है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी देवानंद कुमार ने बताया कि सुबास प्रसाद एक अच्छे किसान हैं। जो समय के साथ और मौसम के हिसाब से सब्जी की खेती कर अधिक आमदनी कर रहे हैं। उनके द्वारा की गई नई प्रजाति की खेती अन्य किसानों के लिए मॉडल है। उन्हे कृषि विभाग से हर प्रकार की सहायता दी जाएगी। उनके द्वारा इस विकट परिस्थिति में की गई खेती काबिले तारीफ है। 


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