करोड़ों गबन कर फरार प्रमादी मिलरों की जब्त होगी संपत्ति, कवायद शुरू Muzaffarpur News
चावल मिल संचालकों ने सरकार को लगाया था करोड़ों का चूना। तीन आरोपितों का हुआ सत्यापन। धान लेकर चावल देने का था मामला। होगी राशि गबन करने वाले प्रमादी मिलरों की गिरफ्तारी।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। करोड़ों के गबन के आरोपित प्रमादी मिलरों पर नकेल कसने की कार्रवाई तेज कर दी गई है। फरार आरोपितों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी। एसएसपी मनोज कुमार ने इसके लिए विशेष टीम का गठन किया है। कहा कि जो प्रमादी मिलर सरकारी राशि गबन कर फरार हैं। उनकी हर हाल में गिरफ्तारी होगी, ताकि राशि वसूल की जा सके। नहीं तो इनकी संपत्ति जब्ती की कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि गत पखवारे पटना से पहुंचे सीआइडी के डीआइजी ने जिले में दर्ज लंबित सभी प्रमादी मिलरों के केसों की समीक्षा की थी। इसके बाद उन्होंने कई बिंदुओं पर निर्देश दिए थे। इसके आलोक में एसएसपी ने सभी थानेदारों को विशेष अभियान के तहत प्रमादी मिलर की गिरफ्तारी का आदेश दिया था। लेकिन, अब तक एक भी आरोपित की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
तीन आरोपित घर से फरार
मामले में नगर थानेदार ने कार्रवाई की रिपोर्ट एसएसपी को भेजी है। जिसमें बताया गया कि सरैयागंज के संजय कुमार के घर पर छापेमारी की गई। लेकिन वे घर से फरार मिले। क्लब रोड के अरुण कुमार बोस की गिरफ्तारी को लेकर उनके घर पर छापेमारी की गई। लेकिन दिए गए पते पर वे नहीं मिले। मकान बेचकर चले गए आरोपित जांच में पता चला कि आरोपित अरुण मकान बेचकर दूसरी जगह चले गए हैं। वर्तमान में उक्त मकान में एक निजी स्कूल चल रहा है।
इसके अलावा मोतीझील केनरा बैंक के समीप उनका छापाखाना चलता था, जो भी बेच चुके हैं। मोतीझील मफतलाल गली निवासी मो. बसंत की गिरफ्तारी को लेकर उनके घर पर छापेमारी की गई। लेकिन वे भी फरार मिले। मो. बसंत पर दो मामले दर्ज हैं।
प्रमादी मिलरों को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकेंगे इंस्पेक्टर
करोड़ों का धान लेकर चावल या राशि नहीं देने वाले प्रमादी मिलरों को बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकेगा। इस संबंध में गृह विभाग ने आदेश जारी कर जांच में प्रतिनियुक्त पुलिस इंस्पेक्टरों को इसकी शक्ति प्रदान की है। इसके अनुसार ऐसे मिलरों की गिरफ्तारी के लिए प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की स्वीकृति की जरूरत नहीं होगी। जांच के लिए वे बिना वारंट प्रमादी मिलरों को गिरफ्तार कर पाएंगे। मालूम हो कि जिले में करोड़ों के धान लेकर मिलरों ने ना तो चावल लौटाया और न इसके समतुल्य राशि।
बाद में सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। दबाव का असर हुआ। कई मिलरों ने राशि जमा की। मगर, अब भी 25 मिलरों के पास 65 करोड़ से अधिक रुपये बकाया हैं। इन मिलरों की सूची में वे नाम भी हैं जो जिला ही नहीं राज्य के बाहर के भी हैं। इन मिलरों से राशि की वसूली मुश्किल है। क्योंकि कई वर्षों से नीलामवाद की कार्रवाई के बाद भी यह राशि वसूल नहीं हो पा रही।