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बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में ढूंढे नहीं मिल रहे प्रॉक्टर व डीएसडब्ल्यू

प्रोफेसर रीडर अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्य एवं पीजी विभागों के शिक्षकों से आवेदन आमंत्रित। डॉ. विवेकानंद शुक्ला के हटने से रिक्त पड़ा है प्रॉक्टर का पद।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 05 Jun 2019 09:46 AM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 09:46 AM (IST)
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में ढूंढे नहीं मिल रहे प्रॉक्टर व डीएसडब्ल्यू
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में ढूंढे नहीं मिल रहे प्रॉक्टर व डीएसडब्ल्यू

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय को प्रॉक्टर (कुलानुशासक) व डीएसडब्ल्यू (छात्र कल्याण संकाय के अध्यक्ष) पद के लिए पदाधिकारी ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। लिहाजा, विज्ञापन जारी करना पड़ा है। प्रोफेसर, रीडर, अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्य एवं पीजी विभागों के शिक्षकों में से इस पद के लिए उत्तराधिकारी की तलाश की जा रही है। 31 मई को ही यह इश्तेहार प्रकाशित हुआ है। वैसे तो इस पद के लिए कई दावेदार और इच्छुक हैं मगर, वरीय व अनुभवी लोगों की तलाश है। बहाली के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।

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  प्रॉक्टर का पद डॉ. विवेकानंद शुक्ला के हटने से रिक्त है। वहीं डीएसडब्ल्यू के पद से डॉ. सदानंद प्रसाद सिंह की सेवानिवृत्ति के बाद से यह पद खाली है। हालांकि, इस पद पर कॉलेज इंस्पेक्टर आर्ट्स डॉ. सुनील कुमार को प्रभार मिला था। मगर, मूल पद से हटाए जाने के साथ ही उन्होंने इस पद से भी त्यागपत्र दे दिया। लिहाजा, प्रॉक्टर व डीएसडब्ल्यू जैसे महत्वपूर्ण पद रिक्त पड़े हैं। छात्र-छात्राओं और विश्वविद्यालयीय कामकाज से जुड़े अति महत्वपूर्ण कार्य इस पद के रिक्त रहने से प्रभावित हो रहे हैं। विश्वविद्यालय का कामकाज पटरी पर लाने में ये दोनों ही पद काफी अहम हैं।

वीसी-प्रोवीसी के बाद प्रॉक्टर

विश्वविद्यालय में प्रॉक्टर का पद वीसी व प्रोवीसी के बाद तीसरे ही नंबर का होता है। इससे साफ है कि ये पद कितना महत्वपूर्ण है। इस पद पर इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद शुक्ला थे। मगर, राजभवन के आदेश पर वे हटा दिए गए। इससे पहले डॉ. शुक्ला रजिस्ट्रार थे। महज 54 दिनों में उन्हें इस पद से भी हटना पड़ा। उनकी जगह कर्नल अजय कुमार राय ने ली। डॉ. शुक्ला इससे पहले भी मई 2013 से जून 2015 तक कुलसचिव रह चुके हैं।

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