सूखे पोखर को देख कचोट रहा मन, जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान Muzaffarpur News
तालाबों को बचाने की मुहिम में लगे ग्रामीण। लगा रहे कार्यालयों की दौड़। एक समय था जब पोखर के चारों तरफ हरियाली थी। कचरा व अतिक्रमण की मार से यह तालाब दम तोड़ रहा है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। मोतीपुर बाजार स्थित मानसरोवर पोखर की हालत देख मन कचोट रहा है। एक समय था पोखर के चारों तरफ हरियाली थी। इसका पानी स्वच्छ था। आसपास के लोग इसका उपयोग भी करते थे। छठ पर्व पर यहां मेला लगता था। नाले का पानी, कचरा व अतिक्रमण की मार से यह तालाब दम तोड़ रहा है। इसे बचाने के लिए शासन-प्रशासन सबका दरवाजा खटखटाया गया, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। यह पीड़ा मोतीपुर बाजार के सामाजिक कार्यकर्ता संतोष कुमार गुप्ता की है। वे पिछले एक दशक से इस पोखर को बचाने की मुहिम में लगे हैं।
उन्होंने अपनी पीड़ा दैनिक जागरण से बांटी। कहा कि पिछले एक दशक से जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। मोतीपुर नगर पंचायत ने इसे कूड़ेदान बना दिया। इसकी जमीन पर भू-माफियां की नजर है। उन्होंने नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी से लेकर जिलाधिकारी तक को पत्र लिखा।
वस्तुस्थिति से अवगत कराया। बिहार राज्य प्रदूषण पर्षद से भी शिकायत की, लेकिन सफलता नहीं मिली। उन्होंने कहा कि वे अपना प्रयास जारी रखेंगे। यह पीड़ा सिर्फ संतोष गुप्ता की नहीं, बल्कि शहर या गांव में दम तोड़ रहे तालाबों को बचाने की मुहिम में लगे अन्य लोगों की भी है।
खनन माफिया के कब्जे में है तालाब
गायघाट स्थित सूख चुके बुडिय़ा पोखर को बचाने की मुहिम में समाजसेवी दीपक कुमार लगे हैं। वह बताते हैं कि इस पोखर का निर्माण दो दशक पूर्व कराया गया था। पहले इसमें हमेशा पानी रहता था। अब खनन माफियां के कब्जे में है। वे पोखर की मिट्टी काट कर बेचने में लगे हैं। दीपक लगातार पोखर के जीर्णोद्धार का प्रयास कर रहे है। उधर, मुशहरी प्रखंड स्थित रोहुआ पोखर पानी से भरा रहता था। लेकिन, पिछले दो-तीन सालों से सूख चुका है। लोग इसके कब्जे की फिराक में है। समाजसेवी नेहाल सिंह इसको बचाने की मुहिम चला रहे हैं।