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कानून की आड़ में पुलिस की मनमानी, वाहन चेकिंग के नाम पर 'वसूली' का 'खेल'

कानून की आड़ में पुलिस मनमानी कर रही है। वाहन जांच के नाम पर वसूली का 'खेल' चल रहा है। परिवहन एक्ट के तहत ड्राइविंग लाइसेंस, ऑनरबुक, इंश्योरेंस, हेलमेट आदि जांच का अधिकार न होने के बाद भी पुलिसकर्मी ऐसा करते हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2015 10:49 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2015 11:08 PM (IST)

मुजफ्फरपुर [मो. शमशाद]। कानून की आड़ में पुलिस मनमानी कर रही है। वाहन जांच के नाम पर वसूली का 'खेल' चल रहा है। परिवहन एक्ट के तहत ड्राइविंग लाइसेंस, ऑनरबुक, इंश्योरेंस, हेलमेट आदि जांच का अधिकार न होने के बाद भी पुलिसकर्मी ऐसा करते हैं।

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यातायात के साथ अपराध नियंत्रण के नाम पर चलाए जा रहे अभियान में पुलिस परिवहन एक्ट का अनधिकृत रूप से उपयोग कर रही है। इनके निशाने पर गांव-देहात एवं कम जानकार लोग होते हैं। सूत्र बताते हैं कि वाहनों के कागजात में कमी दिखाकर चार से पांच सौ रुपये की वसूली होती है। होमगार्ड के भी कई जवान वाहन जांच कर अपनी जेब गरम करते हैं।

जून में ही खत्म हुआ अधिकार

यातायात नियंत्रण के लिए परिवहन विभाग के प्रधान सचिव ने नवंबर 2012 में पहली बार एक वर्ष के लिए नगर, काजी मोहम्मदपुर, ब्रह्मपुरा, सदर, मिठनपुरा, बेला, विवि थाना एवं यातायात निरीक्षक नगर व सदर को मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 177 से 190 तक के उल्लंघन पर जुर्माने का अधिकार दिया था। बाद में इसे हर छह माह के लिए बढ़ाया गया।

अंतिम बार दिसंबर 2014 में छह महीने का अधिकार दिया गया, जो जून 2015 में खत्म हो गया। बावजूद अब भी जांच के नाम पर वसूली जारी है। तत्कालीन जिलाधिकारी अनुपम कुमार ने जुलाई 2015 में एक बार फिर प्रस्ताव प्रधान सचिव को भेजा, मगर अब तक इस संबंध में आदेश नहीं मिला।

ओवरलोडिंग वाहनों के जांच का नहीं अधिकार

पुलिस को ओवरलोडिंग वाले वाहनों की जांच का अधिकार नहीं है। यातायात नियंत्रण के लिए जिन थानों को अधिकार दिए गए थे, उन्हें भी यह नहीं दिया गया। मगर, जानकारों की मानें तो कई थानों द्वारा आए दिन ओवरलोड वाहनों को पकड़ा जाता है। उनसे मोटी रकम वसूलकर छोड़ दिया जाता है।

अपराध नियंत्रण के बहाने वसूली

अधिवक्ता एकबाल आलम कहते हैं, अपराध नियंत्रण के तहत चलाए गए अभियान में पुलिस जांच कर सकती है। इसमें उसे यह देखना है कि गाड़ी से कोई हथियार तो नहीं ले जाया जा रहा है या गाड़ी चोरी की तो नहीं है। मगर पुलिस इसकी आड़ में भी वसूली करती है। कागजात में कमी होने पर जुर्माने के लिए सक्षम अधिकारी के हवाले करना चाहिए।

माेटर वाहन अधिनियम में तहत किस धारा में कितना जुर्माना

-177 : वाहनों पर आगे डीम सहित अथवा डीम रहित लाल-पीली, नीली बत्ती का अनाधिकृत रूप से उपयोग करना : जुर्माना सौ से 300 तक।

- 179 : आज्ञा का उल्लंघन, बाधा उत्पन्न करना या सूचना नहीं देना : जुर्माना 500 रुपये या एक महीना जेल या दोनों।

-180 : अप्राधिकृत व्यक्ति द्वारा गाड़ी चलाना : एक हजार तक जुर्माना या तीन महीने तक कारावास या दोनों।

-181 : ड्राइविंग लाइसेंस के बिना वाहन चलाना या नाबालिग द्वारा ड्राइविंग : 5 सौ जुर्माना या तीन महीने तक का कारावास।

-182 : ड्राइविंग लाइसेंस से संबंधित अपराध : 5 सौ जुर्माना या तीन महीने तक का कारावास।

-183 : निर्धारित स्पीड से अधिक वाहन चलाना : प्रथम अपराध पर 4 सौ एवं पुनरावृत्ति पर 1000 तक जुर्माना।

-184 : खतरनाक तरीके से वाहन चलाना : प्रथम अपराध पर एक हजार तक जुर्माना या छह महीने का कारावास, पुनरावृत्ति पर 2 हजार जुर्माना या दो वर्ष के लिए कारावास।

-185 : शराब या नशे की हालत में वाहन चलाना : पहली बार पर 2000 जुर्माना या छह माह के लिए कारावास, पुनरावृत्ति पर तीन हजार जुर्माना या दो वर्ष के लिए कारावास।

-186 : मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ्य नहीं होने के बावजूद वाहन चलाना : पहली बार पर 200 एवं पुनरावृत्ति पर 500 जुर्माना

-187 : दुर्घटना करना : प्रथम बार के लिए 5 सौ जुर्माना या तीन महीने की जेल। पुनरावृत्ति पर 1000 जुर्माना या छह माह का कारावास।

-189 : गाड़ी की रेस लगाना : 500 जुर्माना या एक माह का कारावास।

-190 : असुरक्षित वाहन का प्रयोग : 250 जुर्माना या तीन महीने का कारावास या 1000 जुर्माना या दोनों।

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'यातायात नियंत्रण को लेकर थानों को जुर्माने का अधिकार दिया गया था, जो जून में खत्म हो गया। सरकार को एक बार फिर प्रस्ताव भेजा गया है। पुलिस अपराध नियंत्रण को लेकर वाहनों की जांच कर सकती है, मगर मोटर वाहन अधिनियम के तहत उसे जांच का अधिकार नहीं है।'

- जयप्रकाश नारायण, डीटीओ

-'वाहन जांच के नाम पर वसूली की शिकायत मेरे सामने नहीं आई है। शिकायत आने पर मामले की जांच कराई जाएगी। दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होगी।Ó

-रंजीत कुमार मिश्रा, एसएसपी


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