मुजफ्फरपुर : कांटी में बाइक लूट के दौरान गोली से जख्मी प्लंबर की अस्पताल में मौत
Muzaffarpur कांटी थाना क्षेत्र के छपरा-लसगरीपुर के निकट बाइक लूटने के दौरान बदमाशों की गोली से घायल प्लंबर की इलाज के दौरान मौत हो गई। नागपुर में करता था प्लंबर का काम पांच दिसंबर को हुई थी शादी। शादी के बाद रुका था घर पर जल्द ही जानेवाला था नागपुर।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। कांटी थाना क्षेत्र के छपरा-लसगरीपुर के निकट बाइक लूटने के दौरान बदमाशों की गोली से घायल प्लंबर शराफत हुसैन की इलाज के दौरान बुधवार देर रात मौत हो गई। वे करजा थाना क्षेत्र के बड़कागांव टोले भररा का रहने वाले थे। शराफत के स्वजन नागपुर रहते हैं। मुखिया पति रंजीत सिंह ने बताया कि उनके पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है। एएसपी पश्चिमी सैयद इमरान मसूद ने बताया कि घटना में शामिल बदमाशों को चिह्नित कर जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।
शव पहुंचते ही मचा कोहराम
गुरुवार की दोपहर के बाद शराफत का शव गांव में पहुंचते ही कोहराम मच गया। आसपास के लोगों की भीड़ जुट गई। सबके चेहरे पर उदासी, आंखों में आंसू थे। कोई कुछ समझ नहीं पा रहा था कि जो हंसता खेलता लड़का बुधवार को शहर गया था। उसका शव आज घर पहुंचेगा। शराफत पांच भाईयों में सबसे छोटा था। उसके स्वजन व वह खुद भी नागपुर रहता था। इसी वर्ष पांच दिसंबर को उसकी शादी हुई थी। इसी दौरान सभी स्वजन घर पर आए थे। शादी का कार्यक्रम खत्म होने के बाद सब काम पर लौट गए थे। केवल शराफत ही कुछ दिनों के लिए ठहर गया था। इसी दौरान बुधवार की दोपहर बाद शहर से लौटने के क्रम में अपराधियों ने बाइक छीनने के क्रम में उसे गोली मार दी थी।
हाथ की मेहंदी सूखने के पहले ही हो गई बेवा
शराफत की शादी पांच दिसंबर को पारू थाना क्षेत्र के बहदीनपुर की जहाना से हुई थी। जहाना का रो- रोकर बुरा हाल था। वह बार-बार बेहोश हो रही थी। परिवार के लोग भी नहीं थे जो उसे ढाढस बंधाए। हालांकि मायके से स्वजन पहुंच गए थे, मगर सब की स्थिति एक जैसी थी। कोई कुछ समझ नहीं पा रहा था कि जहाना को किस तरह ढाढस बंधाए। जहाना का हाल तो काफी बुरा था, वह बार बार बेहोश हो रही थी। जिस शराफत के साथ उसने 15 दिन पूर्व ही हसीन जीवन के सपने संजोए थे, सपने बुने थे,15 दिनों में ही उसकी सारी खुशियां काफूर हो गईं। हाथ की मेहंदी सूखने से पहले ही उसका सुहाग उजड़ गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वह जिंदगी किसके सहारे काटेगी। ढाढस देने पहुंचे लोगों के आंसू भी थमने का नाम नहीं ले रहे थे।