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India-Nepal Border पर नए विवाद की आशंका, सीमा से गायब हो रहे पिलर; नो मेंस लैंड पर अवैध कब्‍जा

India-Nepal Border बिहार में भारत व नेपाल सीमा पर स्थित नो मैंस लैंड पर लोग लगातार कब्जा करते जा रहे हैं। सीमा पर लगे पिलर भी गायब हो रहे हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 01:47 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 09:34 PM (IST)
India-Nepal Border पर नए विवाद की आशंका, सीमा से गायब हो रहे पिलर; नो मेंस लैंड पर अवैध कब्‍जा
India-Nepal Border पर नए विवाद की आशंका, सीमा से गायब हो रहे पिलर; नो मेंस लैंड पर अवैध कब्‍जा

सीतामढ़ी, [मुकेश कुमार अमन]। India-Nepal Border: नेपाल सरकार की ओर से जारी नए नक्शे के बाद केवल कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा की चर्चाएं हो रहीं हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच और भी कई जगह सीमा विवाद खड़ाे हो सकते हैं। हम बात कर रहे हैं बिहार के सीतामढ़ी के नेपाल सीमावर्ती इलाकों की। यहां के पांच प्रखंड बैरगनिया, सोनबरसा, परिहार, मेजरगंज और भिट्ठा मोड़ नेपाल सीमा से लगे हैं। यहां न कोई हदबंदी (तार-बाड़) है और न ही कोई दीवार। केवल पिलर के आधार पर सीमांकन है, लेकिन दोनों देशों की सीमा के बीच स्थित नो मैंस लैंड पर लोग कब्जा करते जा रहे हैं। इसके चलते जहां 50 से अधिक पिलर गायब हैं तो 100 से ज्यादा क्षतिग्रस्त हैं।

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जमीन पर अतिक्रमण बड़ा मुद्दा

भारत की ओर से तैनात सशस्त्र सुरक्षा बल (एसएसबी) इस अतिक्रमण को हटाने में सफल नहीं हो पा रहा है। नेपाल के सशस्त्र प्रहरी बल (एपीएफ) की भी इसमें अभिरुचि नहीं है। सच तो यह है कि भारतीय सीमा के पास नेपाल एपीएफ ने भी नो मैंस लैंड पर कब्जा कर अस्थाई चौकियां बना ली हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि नो मेंस लैंड पर दोनों तरफ इंसानी बस्ती आबाद हो गई। इससे सुरक्षा पर संकट है। मकान बन रहे हैं। दुकानें सजी हैं। 

सीतामढ़ी से लगी है 118 किमी सीमा 

एसएसबी की 51वीं व 20वीं बटालियान के कंधों पर बॉर्डर की सुरक्षा का दारोमदार है। 51वीं बटालियन भिट्ठामोड़ से शुरू होकर सुरसंड, कनवा, सोनवर्षा, कन्हौली आदि के बीच 65 किलोमीटर का क्षेत्र कवर करता है। इसकी छह कंपनियां हैं, जिनमें 18 बीओपी हैं। 51वीं बटालियन सीतामढ़ी में तैनात है। इसके जिम्मे 64 किलोमीटर तो एसएसबी 20वीं बटालियन पर 54 किलोमीटर की सुरक्षा का दारोमदार है। दोनों देशों के बीच 1950 की संधि के मुताबिक नो मैंस लैंड के 30 गज के दायरे में बसावट की इजाजत नहीं है।

धीरे-धीरे गायब हो रहे पिलर, अधिकारी बेखबर

सीमा पर दो प्रकार के पिलर होते हैं। एक मेन व दूसरा सब्सिडियरी। एसएसबी-20 बटालियन के अधिकार क्षेत्र में कुल 374 पिलर हैं। सिर्फ एसएसबी-20 के एरिया से 40 पिलर गायब हैं। अधिकारियों का तर्क है कि नेपाल से पानी छोड़े जाने के बाद कुछ पिलर बाढ़ में बह जाते हैं। कुछ को असामाजिक तत्व उखाड़ ले गए। कुछ अतिक्रमणकारी इसे उखाड़कर बस्तियां बसा रहे हैं।

स्थिति के लिए अंचलाधिकारियों की सुस्ती भी जिम्मेदार

बॉर्डर क्षेत्र से जुड़े अंचलाधिकारियों की सुस्ती भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है। अधिकतर अंचलाधिकारियों को ये भी नहीं मालूम कि उनके क्षेत्र में नो मैंस लैंड की क्या स्थिति है? सोनबरसा, मेजरगंज, बैरगनिया, सुरसंड के अंचलाधिकारी ने जानकारी होने से ही इन्कार कर दिया। बैरगनिया एसएसबी के एक आधिकारी ने कहा कि सीमा क्षेत्र में कुल 32 पिलर हैं। इनमें 20 क्षतिग्रस्त हैं। उम्मीद है कि उनके चिह्नों के आधार पर पिलरों को दोबारा खड़ा किया जाएगा। 

कितने पिलर गायब, कितने क्षतिग्रस्‍त; जानकारी तक नहीं

मेजरगंज के माधोपुर कैंप के एक सूत्र ने बताया कि कुल 105 पिलर हैं जिनमें एक गायब है। कुल पांच मुख्य पिलर, 94 सहायक, चार माइनर, एक टी-टाइप पिलर हैं। सुरसंड एसएसबी के इंस्पेक्टर व कंपनी इंचार्ज राजेंद्र सिंह ने कहा कि परिहार प्रखंड के धरहरवा से लेकर सुरसंड व कोरियाही परसा तक 155 छोटे-बड़े पिलर हैं। इनमें कितना गायब हैं और कितने क्षतिग्रस्त, इसके बारे में जानकारी नहीं है।   

उच्‍चाधिकारियों को स्थिति की रिपोर्ट भेज चुका एसएसबी

एसएसबी 20वीं बटालियन के कमांडेंट तपन कुमार दास ने कहा कि सीमा पर जितने भी पिलर (सीमा स्तंभ) हैं वे प्राकृतिक आपदा व बाढ़ से उखड़ जाते हैं। कुछ डूब जाते हैं। ऐसा चलता रहता है। कई बार बुरी नीयत वाले लोग उखाड़ ले जाते हैं या क्षतिग्रसत भी कर देते हैं। उनके बारे में उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। 


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