यूपी में आवास और बिहार में ड्यूटी करते इस अस्पताल के चिकित्सक व कर्मी, कैसे होगा मरीजों का कल्याण
एक लाख की आबादी के लिए बने पश्चिम चंपारण जिले के दहवा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मधुबनी में संसाधनों की घोर किल्लत है। यहां तक कि आवास नहीं रहने के कारण चिकित्सकों और कर्मियों को 10 किमी दूर उत्तर प्रदेश में किराए का मकान लेकर रहना पड़ता है।
पश्चिम चंपारण, विजय यादव। उत्तर प्रदेश- बिहार की सीमा पर पश्चिम चंपारण जिले के दहवा में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मधुबनी लगभग एक लाख की आबादी को कवर करता है।
चिकित्सकों की कमी
आबादी के हिसाब से इस अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है। लगभग एक लाख की आबादी के लिए बने इस पीएचसी में दांत के चिकित्सक सहित मात्र चार चिकित्सक कार्यरत हैं। वहींं लगभग 10 पंचायतों में मरीजों का देखभाल करने के लिए कुल 32 नर्स कार्यरत हैं।
चिकित्सकों एवं कर्मियों को रहने के लिए आवास नहींं
चिकित्सकों एवं कॢमयों को रहने के लिए इस अस्पताल में किसी तरह का आवास नहीं है। जिसके कारण चिकित्सक उत्तर प्रदेश के पडरौना में किराए के मकान में रहते हुए लगभग 10 किलोमीटर की दूरी तय कर प्रतिदिन मधुबनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं । सबसे दयनीय स्थिति इस अस्पताल की नर्सों की है नर्सों को ठहरने के लिए अस्पताल में कोई सुविधा नहीं है । जिसके कारण सभी कार्यरत नर्स यूपी के खिरकिया एवं पडरौना में किराए के मकान में रहते हुए प्रतिदिन अपना ड्यूटी करती हैं।
अस्पताल में सफाई कर्मी नहीं
पएचसी में अभी तक सरकार सफाई कर्मी की नियुक्ति नहीं की गई है। जिस कारण इस अस्पताल में प्रतिदिन प्राइवेट सफाईकर्मी से ही अस्पताल का सफाई कार्य पूरा किया जाता है। हालांकि अस्पताल में सरकारी सफाई कर्मी को रखने के लिए जगह है। लेकिन आज तक सरकारी सफाई कर्मी की नियुक्ति नहीं की गई।
जर्जर भवन में चलता अस्पताल
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है जर्जर भवन में ही मरीजों का इलाज किया जाता है ।कुछ साल पहले जर्जर भवन की छत का टुकड़ा गिरने के कारण एक नर्स घायल भी हो चुकी हैं। हालांकि मधुबनी प्रखंड परिसर में ही लगभग एक वर्ष पहले से स्वास्थ्य सामुदायिक भवन बनकर तैयार है। लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण अभी तक मधुबनी प्राथमिक स्वास्थ्य को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संचालित नहीं किया गया।
प्रतिदिन 40 से 50 मरीज इलाज के लिए पहुंचते
इस अस्पताल में प्रतिदिन 40 से 50 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं अगर बरसात के दिनों में मौसम खराब रहा तो मरीजों की संख्या में कुछ कमी होती है । लेकिन मरीजों के संख्या के मुताबिक चिकित्सकों की काफी कमी है । जब दो हजार की आबादी में एक चिकित्सक रखने का सरकारी व्यवस्था है। लेकिन इस अस्पताल में लगभग एक लाख की आबादी में मात्र चार चिकित्सक कार्यरत हैं ।
दवाओं की रहती किल्लत
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन लगभग 40 से 50 मरीज अपने इलाज के लिए पहुंचते हैं। लेकिन दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।अस्पताल में पहुंचे मरीज बताते हैं कि अस्पताल में पहुंचने के बाद इलाज तो हो जाता है लेकिन दवा के लिए काउंटर पर जाने के बाद पता चलता है कि कई दवाएं नहींं हैं ।