Coronavirus: दूर भगाएं कोरोना का भय, जंग में होगी विजय Samastipur News
क्वारंटाइन में होने पर परिवार के स्वास्थ्य की चिंता संक्रमण के शिकार की आशंका पर अपराध बोध का हो रहा एहसास। साइकिआट्री ने ऐसे व्यवहार पर किया अध्ययन।
समस्तीपुर, अजय पांडेय। सामान्य सर्दी, खांसी या बुखार, फिर भी मन बेचैन। तकलीफ जरा सी, पर खौफ कोरोना का। संक्रमण होने पर अलग-थलग पड़ जाने का भी भय। ऐसी बातें मानसिक बीमार करने को काफी हैं। दौर वैश्विक संक्रमण का, इसलिए चिंता और चुनौती सबके साथ है। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि संक्रमण के कारण भावनात्मक एवं व्यावहारिक प्रतिक्रियाएं स्वाभाविक हैं।
पुणो स्थित आम्र्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ साइकिआट्री द्वारा 24 मार्च को जारी रिपोर्ट में भी कुछ ऐसे ही पक्षों का अध्ययन है। रिपोर्ट कहती है कि कोरोना के कारण कुछ अनियमित प्रतिक्रियाएं विकसित हो रहीं। क्वारंटाइन मे अकेलापन, परिवार के स्वास्थ्य की चिंता, संक्रमण के शिकार की आशंका पर अपराध बोध और महत्वपूर्ण समय में अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पाने का एहसास हो रहा।
इस व्यवहार को लेकर समस्तीपुर महिला कॉलेज की समाजविज्ञानी डॉ. नीता मेहता सजग करती हैं। कहती हैं कि भविष्य को लेकर घबराने से बचें। साथ ही, जागरूकता और सही जानकारी रखें। माहौल बेहतर होगा तो संकट का यह दौर टल जाएगा। रिपोर्ट कहती है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति कई तरह के नकारात्मक विचारों से ग्रसित हो सकता।
संक्रमित होने पर अनुचित अपराध, खराब संभावित परिणामों के बारे में घबराहट आदि बातें प्रभावित करती हैं। दूसरी ओर, कोरोना से लोगों को बचाव करने में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों को भी खुद की चिंता होती है। संक्रमण के बढ़ते मामलों एवं चुनौतीपूर्ण माहौल में कार्य करने पर चिंता स्वाभाविक है। गंभीर रोगियों एवं मौतों के बीच अत्यधिक समय तक काम उत्तेजित कर देता है। मनोचिकित्सक कहते हैं कि स्वास्थ्य कर्मियों को सचेत रहने की जरूरत है।
इस बारे में समस्तीपुर कॉलेज की मनोविज्ञान की विभागाध्यक्ष प्रो. साधना कुमार शर्मा ने कहा कि संकट के दौर में मानसिक मजबूती जरूरी है। हमें हर परिस्थिति में खुद को दृढ़ और सहज रखना है। आसपास के माहौल को सकारात्मक रखना है, तभी इससे पार पा सकते हैं।