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भुगतान में विलंब शौचालय निर्माण में लटका रही रोड़ा, आज भी खुले में लोग जा रहे शौच

गरीब परिवार शौचालय की सुविधा से वंचित। आज भी हजारों दलित एवं महादलित परिवारों के पास शौचालय नहीं है। सरकारी फाइलों में खुले में शौच से मुक्ति मिल गई है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 05:41 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 08:40 AM (IST)
भुगतान में विलंब शौचालय निर्माण में लटका रही रोड़ा, आज भी खुले में लोग जा रहे शौच
भुगतान में विलंब शौचालय निर्माण में लटका रही रोड़ा, आज भी खुले में लोग जा रहे शौच

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कुढऩी प्रखंड की सभी 39 पंचायतों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। कुढऩी प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में में 44004 शौचालयों का निर्माण हो गया है। अनुदान की सहायता राशि भुगतान की कवायद की जा रही है। जियो टैगिंग का काम चल रहा है। अभी तक 18198 शौचालय का जियो टैगिंग किया जा चुका है। जियो टैगिंग करने के लिए 25806 शौचालय शेष है। सरकारी फाइलों में तो खुले में शौच से मुक्ति मिल गई है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ अलग है।

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    लोहिया स्वच्छता अभियान के इस दावे से अधिक इसमें कागजी खानापूर्ति होने की बात बताई जा रही है। निस्संदेह शौचालय निर्माण तो हुए हैं, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है। लेकिन जितना दावा किया जा रहा है, उतना निर्माण नहीं हुआ है। यह हकीकत है। आज भी हजारों गरीब परिवारों, दलित एवं महादलित परिवारों के पास शौचालय नहीं है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों ने शौचालय का निर्माण नहीं कराया है और वे आज भी खुले में शौच जाने पर मजबूर हैं।

    ऐसी बात नहीं कि सब गरीबों के घर में शौचालय नहीं है। जो परिवार पुरानी मानसिकता से ऊपर उठ गए हैं, जो शौचालय निर्माण को सामाजिक प्रतिष्ठा से जोर कर देख रहे हैं, उनलोगों ने शौचालय का निर्माण करा लिया है और उसका उपयोग भी कर रहे हैं। जिन परिवारों के पास शौचालय नहीं है, वे खेत ,सड़क, नदी, नाला एवं नहर पर शौच जा रहे हैं। तुर्की, छाजन हरिशंकर पूर्वी, रजला, खरौनाडीह, बंगरा वंशीधर गोरैया दुबियाही समेत अन्य पंचायतो में खासकर दलित व महादलित बस्ती में शौचालय का अभाव है। सिरोही नगर तुर्की, छाजन गंगाराम, दरजियां, भवानीपुर के अधिकतर लोग शौच के लिए नाला, खेत व नहर का उपयोग करते है।

   गोरैया दुबियाही के मुखिया अशोक राय एवं छाजन हरिशंकर पूर्वी पंचायत के मुखिया हरेकिशुन मांझी की मानें तो गरीबों को पेट की चिंता रहती है। पैसे के अभाव में गरीब दलित, महादलित शौचालय के निर्माण नहीं कर पा रहे है। अनुदान की सहायता राशि पहले मिलने पर शत प्रतिशत शौचालय निर्माण हो जाता। यदि निर्माण की जिम्मेदारी पंचायतों को मिल जाती, तब खुले में शौच से मुक्ति मिल जाती।

   उधर, प्रखंड समन्वयक शिव कुमार ने बताया कि जियो टैगिंग पर काम चल रहा है। संचिका संधारित होते ही लाभुक के खाते में सहायता राशि भेज दी जा रही है। बीडीओ हरिमोहन कुमार ने बताया कि प्रखंड को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। भुगतान किया जा रहा है। प्रखंड वासियों को खुले में शौच से मुक्ति मिल गई है। 


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