यहां पग-पग शिवालय
मुजफ्फरपुर। मिथिला का मधुबनी क्षेत्र आदि काल से ही शिव भक्तों की धरती रही है। इसका प्रमाण यहां पग-पग
मुजफ्फरपुर। मिथिला का मधुबनी क्षेत्र आदि काल से ही शिव भक्तों की धरती रही है। इसका प्रमाण यहां पग-पग शिवालयों का होना है। यह भी अद्भुत बात है यहां जो प्राचीन शिवालय है। उसमें विभिन्न स्वरूपों के शिव¨लग स्थापित हैं। कोई शिव¨लग सामान्य रूप का है तो कोई ¨पडी स्वरूप तो कोई चंद्राकार और कोई पीठाकार है। जिसके दर्शन मात्र से चित शांत हो जाता है। यहां प्राचीनकाल से ही शिवालय स्थापना की परम्परा रही है जो आधुनिक काल में भी जारी है।
जिले के प्रमुख शिवालय
जिले में कपिलेश्वर नाथ, उगना शिवालय,पंचानाथ शिवालय, शांतिनाथ, एकादशरूद्र, जागेश्वर नाथ, हरिहर नाथ, गांडिवेश्वर, कामदानाथ, भुवनेश्वर नाथ सहित एक दर्जन प्रमुख शिवालय हैं। जहां हजारों की संख्या में
शिवभक्त पूजन-दर्शन को पहुंचते हैं। भवानीपुर उगना शिवालय है जो महाकवि विद्यापति काल का है। जागेश्वर नाथ, भुवनेश्वर नाथ शिवालय, कपिल मुनि द्वारा स्थापित कपिलेश्वर शिवालय में पारंपरिक रूप से शिवलिग की विशेष पूजा होती हैं। इसे मिथिला का बैद्यनाथ भी कहा जाता है। यहां नेपाल से आए श्रद्धालु भी आते हैं। मंगरौनी गांव में एकादशरूद्र शिवालय है। जहां एक की पीठिका पर शिव के ग्यारह रूप विद्यमान है।झंझारपुर प्रखंड के जमुथरि गांव में घुमने वाला गौरी मुख शिव¨लग है। इसके प्रत्येक प्रहर में पूजा करने की अलग-अलग विधि है। अंधराठाढ़ी के मुक्तेश्वर नाथ शिव का रूप पीठाकार है। यह शिवालय हरि¨सह देव कालीन है। इसी मंदिर में घटी एक घटना के बाद मिथिला में पंजी प्रथा की शुरूआत हुई थी। बेनीपट्टी के मधवापुर गांव स्थित वाणेश्वर शिव का आकार चंद्राकार है। जो आकर्षित करता है। प्रसिद्ध कल्याणेश्वर स्थान में शिव ¨लग छह फुट नीचे गर्भ गृह में अवस्थित है। यहां से प्रतिवर्ष मिथिला परिक्रमा की शुरूआत होती है। बेनीपट्टी के गांडिवेश्वर शिवालय में बलुआ पत्थर से बना शिव¨लग स्थापित है। भगवतीपुर में जानकी लतेश्वर शिवालय में एक ही पीठिका पर दो शिव¨लग स्थापित है। इस शिव¨लग की खासियत है कि इसके कभी भी किसी भी मौसम में स्पर्श करने पर ठंडक का एहसास होता है। जानकारी के अनुसार जिले में पांच दर्जन से अधिक प्राचीन शिवालय मौजूद है। जहां शिवरात्रि एवं सावन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है।
बाबा कपिलेश्वर नाथ शिवालय के पूजारी तिरपित झा ने कहा कि प्राचीन काल से ही मिथिला में शिव पूजन की परंप्ररा एवं शिव ¨लग स्थापित करने की परंपरा रही है। कपिलेश्वर शिव की स्थापना सांख्य शास्त्र के रचयित स्वयं कपिल मुनि ने की थी। इसकी पूजा स्वयं राजा जनक किया करते थे। महाकवि विद्यापति का भी जन्म इन्हीं शिव की कृपा से हुआ था।