Mahua Cooperative Society fraud case : सूबे के 32 जिलों में खोल रखा सहकारी समिति का कार्यालय, जानिए जांच की स्थिति
Mahua Cooperative Society fraud case प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस ने शुरू की जांच बंद मिला कार्यालय। अन्य जिलों के कार्यालय का पता लगाने के लिए संबंधित थाने से साधा जाएगा संपर्क।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। सहकारी समिति का गठन कर संचालक द्वारा करोड़ों रुपये की ठगी करने की जांच पुलिस ने शुरू कर दी है। पता लगा कि आरोपित संचालक जवाहर साह ने राज्य के 32 जिलों में समिति की शाखाएं खोल रखी है। रुपये दोगुना करने का झांसा देकर निवेशकों को चूना लगाने का काम करता है।
कई दिनों से कार्यालय बंद
बुधवार को इस केस के जांचकर्ता सदर थाना के दारोगा राजेश कुमार राकेश भगवानपुर स्थित आरोपित के कार्यालय पर पहुंचकर छानबीन की। देखा कि कार्यालय बंद है। आसपास के लोगों से पूछताछ की। सभी ने बताया कि काफी दिनों से यह कार्यालय नहीं खुला है। पुलिस जांच में पता लगा कि मुजफ्फरपुर के अलावा हाजीपुर, झंझारपुर, मोतिहारी, सीतामढ़ी, दरभंगा, बक्सर और सारण समेत अन्य जगहों पर आरोपित के कार्यालय हैं। इन कार्यालयों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए जांचकर्ता शीघ्र संबंधित थानों के पुलिस अधिकारी से संपर्क साधने की कवायद में जुट गए हैं।
सदर थाना में प्राथमिकी
बता दें कि सदस्यों से लगातार शिकायत मिलने पर जिला सहकारिता पदाधिकारी द्वारा इसकी जांच कराई गई थी। मामला सत्य पाए जाने पर सहकारिता प्रसार पदाधिकारी मजीद अंसारी ने सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोपित का मोबाइल भी बंद मिल रहा है।
यह है मामला
महुआ संयुक्त दायित्व समूह विकास सहकारी समिति लिमिटेड का संचालक जवाहर साह ने सदस्यों पैसे दोगुना होने का प्रलोभन दिया। आरोपित ने समिति की शाखाएं खोलकर अभिकर्ता और कर्मचारियों के माध्यम से विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सदस्यों से राशि जमा कराई। जब राशि की परिपक्वता अवधि के बाद भुगतान देने की बारी आई तो वह इंकार करने लगा। इसके बाद इसकी शिकायत सदस्यों द्वारा लगातार सहकारिता प्रसार पदाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को मिलने लगी।
गैरकानूनी तरीके से राशि जमा कराई
जिला सहकारिता पदाधिकारी ललन कुमार शर्मा ने इसकी जांच कराई। सहकारिता प्रसार पदाधिकारी (पश्चिमी) संजीव कुमार ठाकुर ने भी इसकी जांच की। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया कि आरोपित ने गैरकानूनी तरीके से राशि जमा कराई है और समय पूरा होने पर इसका भुगतान भी नहीं किया। अंतत : कार्यालय बंद कर चंपत हो गया।