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पश्चिम चंपारण के गौनाहा प्रखंड में तीन लाख की आबादी के लिए महज तीन ऑक्सीजन सिलेंडर

कई समस्याओं से जूझ रहा इंडो-नेपाल सीमा पर गौनाहा का रेफरल अस्पताल कंपाउंडर फार्मासिस्ट समेत कई पद रिक्त संक्रमण के कारण अथवा अन्य गंभीर बीमारियों के कारण क्षेत्र में हर रोज दो चार लोगों के मरने की घटनाएं भी घट रही है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 05:04 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 05:04 PM (IST)
पश्चिम चंपारण के गौनाहा प्रखंड में तीन लाख की आबादी के लिए महज तीन ऑक्सीजन सिलेंडर
कोरोना काल में ऑक्‍सीजन स‍िलेंडर नहीं म‍िलने से बढ़ी़ परेशानी । प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पश्चिम चंपारण, जासं। इंडो-नेपाल सीमा में बसा गौनाहा प्रखंड का एक मात्र रेफरल अस्पताल की व्यवस्था कोविड आपदा में सुविधाओं के अभाव के कारण हांफ रही है। करीब तीन लाख की आबादी वाले प्रखंड में जब प्रतिदिन छह से बारह लोग संक्रमित मिल रहे हैं। इमरजेंसी में गंभीर मरीजों का पहुंचना भी जारी है। बावजूद इसके अस्पताल में मात्र 3 ऑक्सीजन सिलेंडर है। संक्रमण के कारण अथवा अन्य गंभीर बीमारियों के कारण क्षेत्र में हर रोज दो चार लोगों के मरने की घटनाएं भी घट रही है।

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आपदा की इस घड़ी में जागरण टीम ने पड़ताल में पाया कि चिकित्सक और कर्मी उपलब्ध संसाधनों के बूते मरीजों की सेवा तो दे रहे हैं। लेकिन अनेक ससाधनों की कमी भी बाधक बन रही है। कई टेक्निकल स्टॉफ का भी नहीं हैं । एमबीबीएस डॉक्टरों का सात पद है, जबकि तीन ही डॉक्टर कार्यरत है। वही 75 एएनएम की जगह मात्र 29 एएनएम कार्यरत है। फार्मासिस्ट, कंपाउंडर नहीं है। राजद के वरीय नेता बैधनाथ यादव, युवा नेता नागेन्द्र मौर्या, समाजसेवी बुद्धेश्वर प्रसाद, शब्बीर राजा ने बताया कि गौनाहा रेफरल अस्पताल एक रेफर करने वाला अस्पताल बनकर रह गया है। किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा अस्पताल के विकास के लिए कार्य नहीं किया गया। अस्पताल के अधीन 33 स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिसमें सेमरी-डुमरी, बलबल, मुरली-भरहवा, मेहनौल, तुरकौलिया का केंद्र कर्मी की कमी के कारण बंद हो गया, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की कमी हो रही है।

नल-जल की सुविधाओं से वंचित है अस्पताल

सरकार की तरफ से करोड़ों रुपये खर्च कर नल जल योजना को चलाया जा रहा है। लेकिन इस योजना से अब तक रेफरल अस्पताल को एक बूंद पानी नहीं मिला। प्रबंधक शैलेंद्र कुमार ङ्क्षसह ने पूछने पर बताया कि कई बार प्रखंड कार्यालय को लिखकर शुद्ध पानी के लिए नल-जल की व्यवस्था करने के लिए अनुरोध किया गया। लेकिन इसका लाभ नहीं मिल रहा।

 एकमात्र महिला डॉक्टर का नहीं मिल रहा लाभ

एक मात्र महिला डॉक्टर खुर्सीदा परवीन पदस्थापित है। लेकिन कभी भी उनसे हॉस्पिटल में मुलाकात नहीं होती है। भाजपा आईटी सेल के विकास सोनी ने बताया कि कई बार अस्पताल प्रभारी से महिला डॉक्टर को ड्यूटी पर बुलाने के लिए कहा गया। लेकिन अस्पताल में वे कभी नही ड्यूटी पर दिखाई दी। जल्द ही इस मामले में अस्पताल प्रशासन के तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी तो युवाओं के द्वारा अस्पताल पर प्रदर्शन किया जाएगा । प्रभारी चिकित्सा प्रभारी डॉ शशि कुमार ने बताया कि डॉ खुर्शीदा परवीन अप्रैल के शुरू में कोरोना पॉजिटिव पायी गई थी। तब से छुट्टी पर चल रही है।

अस्पताल भवन और आवास की हालत खराब

रेफरल अस्पताल का भवन जर्जर हो चुका है। जबकि पीएचसी का भवन दशकों से ध्वस्त है। चारदीवारी नहीं होने के कारण आवारा पशुओं का अड्डा बना रहता है। चिकित्सा पदाधिकारी का आवास भी जर्जर हालत में है। विद्यार्थी परिषद के जिगर गुप्ता और राजा सर्राफ बताते है कि स्थानीय सांसद, विधायक, बीडीओ, प्रमुख आदि का ध्यान अस्पताल पर नहीं जाता है। किसी ने ऑक्सीजन सिलेंडर तक अस्पताल प्रबंधन को अपने निधि से मुहैया नहीं कराया।


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