Move to Jagran APP

एक केंद्र ऐसा जो उचित परवरिश के साथ बच्चों को अपनों जैसा प्यार देने का कर रहा काम

यहां पर छोड़े गए या बेसहारा मिले बच्चों को रखा जाता है, उनके लालन-पालन की पूरी व्यवस्था है, दो साल से चल रहे इस केंद्र में अब तक 16 बच्चे आ चुके हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 26 Dec 2018 10:45 AM (IST)Updated: Wed, 26 Dec 2018 10:45 AM (IST)
एक केंद्र ऐसा जो उचित परवरिश के साथ बच्चों को अपनों जैसा प्यार देने का कर रहा काम
एक केंद्र ऐसा जो उचित परवरिश के साथ बच्चों को अपनों जैसा प्यार देने का कर रहा काम

पूर्वी चंपारण, [सत्येंद्र कुमार झा]। परित्यक्त मासूम बेसहारा न रहे। उचित परवरिश के साथ मां-बाप का प्यार मिले। कुछ ऐसा ही काम कर रहा विशिष्ट दत्तक संग्रह केंद्र। यहां छोड़े गए या बेसहारा मिले बच्चों को रखा जाता है। उनके लालन-पालन की पूरी व्यवस्था है। दो साल से चल रहे इस केंद्र में अब तक 16 बच्चे आ चुके हैं। इससे छह दंपतियों की सूनी गोद भर चुकी है। दो महीने पहले वाशिंगटन के एक भारतीय दंपति भी यहां से एक बच्चे को गोद ले गए। इससे बेनाम बच्चों को नाम तो मिल ही रहा, सूने घर में खुशियां भी आ रही हैं।

loksabha election banner

     जिला मुख्यालय में विशिष्ट दत्तक संग्रह केंद्र की स्थापना एक अक्टूबर 2016 को हुई। इसका संचालन स्वयंसेवी संस्था निर्देश करती है। अब तक नवजात से लेकर तीन साल की उम्र तक के 16 बच्चे यहां लाए जा चुके हैं। अभी आठ लड़कियां व दो लड़के हैं। ये वैसे बच्चे हैं, जिनके मां-बाप का पता नहीं। लोग उन्हें संस्था के पालना में छोड़ गए या चाइल्ड लाइन पहुंचा गए। 

चार जगहों पर लगे हैं पालना

संस्था की ओर से शहर के विभिन्न जगहों पर पालना लगाए गए हैं। सदर अस्पताल, चाइल्ड लाइन, बालिका गृह और बाल संरक्षण इकाई में लगे पालना से यह संदेश दिया गया है कि ऐसे बच्चे फेंके नहीं, हमें दें। हम उसको नया जीवन देंगे। संस्था को अब तक जितने भी बच्चे मिले हैं, उनमें चाइल्ड लाइन की भूमिका अहम है। कहीं बेसहारा या परित्यक्त बच्चों को चाइल्ड लाइन पहुंचा जाती है।

देखभाल के लिए महिलाएं और डॉक्टर

दत्तक संग्रह केंद्र में बच्चों की देखभाल के लिए छह महिलाएं हैं। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता शिवानी वर्मा भी पूरा सहयोग करती हैं। चिकित्सक डॉ. पंकज कुमार समय-समय पर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करते हैं। समन्वयक आमोद कुमार बताते हैं कि शुरू में थोड़ी परेशानी जरूर हुई, पर जब यहां बच्चे आने लगे तो स्थितियां अनुकूल हो गईं। बच्चों के लिए मौसम के अनुसार गीजर, हीटर और एसी आदि की व्यवस्था है।

   बच्चों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसका ध्यान रखा जाता है। संस्था की कार्यक्रम पदाधिकारी मधु कुमारी का कहना है कि इस केंद्र की क्षमता अभी 10 बच्चों की है। आगे इसे और बढ़ाया जाएगा। बच्चों के लालन-पालन का पूरा ख्याल रखा जाता है। किसी दंपति को बच्चा गोद लेना होता है तो, सभी सरकारी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.