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गुड न्यूज : अब ओडिसा की धरती पर लहलहाएगी मुजफ्फरपुर की शाही लीची

मुजफ्फरपुर की शाही लीची का स्वाद अब उड़ीसा के लोग भी ले सकेंगे। यहां की मिट्टी व वातावरण शाही लीची के उत्पादन के अनुकूल है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 17 Mar 2017 01:46 PM (IST)Updated: Fri, 17 Mar 2017 10:44 PM (IST)
गुड न्यूज : अब ओडिसा की धरती पर लहलहाएगी मुजफ्फरपुर की शाही लीची
गुड न्यूज : अब ओडिसा की धरती पर लहलहाएगी मुजफ्फरपुर की शाही लीची

मुजफ्फरपुर [अमरेन्द्र तिवारी]। मुजफ्फरपुर की शाही लीची का स्वाद ओडिशा के लोग ले सकेंगे। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर की पहल पर वहां इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। पहले चरण में 50 किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। किसान वहां पेड़ लगाएंगे। केंद्र के निदेशक डॉ. विशालनाथ के नेतृत्व में एक टीम ओडिशा जाकर स्थानीय स्तर पर शोध करेगी। निदेशक ने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के निर्देश पर लीची की खेती का विस्तार किया जा रहा है। 

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40 एकड़ कृषि फार्म में होगी बागवानी
वर्ष 2010 में पहली बार ओडिशा में शाही लीची की खेती की संभावना तलाशने एक टीम गई थी। देवगढ़ व अंगुल में किसानों के साथ गोष्ठी कर उन्हें इसके लिए प्रेरित किया गया था। एक नियमित अंतराल पर गोष्ठियां भी होती रहीं। जून 2016 में 50 किसानों को अलग-अलग टीम में बांटकर मुजफ्फरपुर में लीची उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद विगत फरवरी में बागवानी विभाग के निदेशक श्रीकांत पुरुष्टि ने इस पहल को विस्तार दिया। सरकार की सहमति से ओडिशा के अंगुल जिले में 40 एकड़ कृषि फार्म इसी उद्देश्य से उपलब्ध कराया गया है। यहां लीची की बागवानी के अलावा शोध व प्रशिक्षण कार्य होंगे।

लीची की खेती के विस्तार के लिए ओडिशा सरकार, राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान केंद्र व राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने संयुक्त रूप से काम करने का निर्णय लिया है। इसमें लीची अनुसंधान केंद्र की ओर से तकनीकी मदद दी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि संभलपुर, देवगढ़, सुंदरगढ़ व अंगुल जिले में शाही लीची उत्पादन की अच्छी संभावना है।

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वातावरण व मिट्टी अनुकूल
ओडिशा की मिट्टी व वातावरण शाही लीची के उत्पादन के अनुकूल है। शाही के अतिरिक्त चाइना, बेदाना, लोगिया, कसवा, लेटवे दाना, अझौली व ग्रीन प्रजाति की लीची की खेती की संभावना भी तलाशी जा रही है।

हर राज्य से शाही लीची की मांग
देश के हर राज्य से लीची की मांग आ रही है। हाल में पांच हजार पौधे झारखंड भेजे गए हैं। इसका परिणाम अच्छा रहा है। एक माह पहले केरल के वायवाड में भी पांच हजार लीची के पौधे भेजे गए थे। वहां लीची का उत्पादन दिसंबर में होता है। राजस्थान के उदयपुर, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, उतराखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान व महाराष्ट्र में भी लीची की बागवानी की पहल की गई है।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ. विशालनाथ ने बताया कि ओडिशा में शाही लीची के बागवानी का विस्तार किया जा रहा है। वहां के किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। अन्य राज्यों में भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

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