'पहले पानी, अब रोटी में भी जहरीला आर्सेनिक', इन क्षेत्रों में गंभीर समस्या, जानिए... Muzaffarpur News
समस्तीपुर सहित सूबे के छह जिलों में आर्सेनिक का कहर गेहूं और रोटी में चिंताजनक मात्रा। इंडो-यूके प्रोजेक्ट के तहत महावीर कैंसर संस्थान एवं रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने की जांच।
समस्तीपुर [अजय पांडेय]। पानी में 'जहरÓ की बात तो प्राय: सुनने को मिलती रहती है। लेकिन, अब रोटी में भी आर्सेनिक की चिंताजनक मात्रा और उससे फैल रही बीमारी। वैज्ञानिकों की टीम ने समस्तीपुर सहित प्रदेश के छह जिलों में आर्सेनिक को डेंजर लेवल से कई गुना ज्यादा बताया है। गेहूं की सिंचाई में आर्सेनिकयुक्त पानी का उपयोग इसकी मुख्य वजह है।
केंद्र्र सरकार के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग और यूके-इंडिया एजुकेशन एंड रिसर्च इनिशिएटिव के संयुक्त प्रोजेक्ट के तहत पटना स्थित महावीर कैंसर संस्थान एवं रिसर्च सेंटर व आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक पानी में आर्सेनिक व उसके प्रभाव पर काम कर रहे। इनके साथ यूके के सैलफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी हैं। टीम के मुख्य वैज्ञानिक और महावीर कैंसर संस्थान के एचओडी डॉ. अशोक कुमार घोष ने बताया कि पांच महीने पहले समस्तीपुर, भागलपुर, बक्सर, वैशाली, भोजपुर व पटना से गेहूं और आटे के नमूने एकत्र किए गए थे।
लैब में जब इनकी जांच की गई तो अलग-अलग स्तर में आर्सेनिक की मात्रा पाई गई। इसमें पटना से तीन के अलावा लंदन के दो वैज्ञानिक डॉ. लारा व रिचर्ड भी थे। अब दोबारा जांच के लिए टीम ने नमूने लिए हैं। बक्सर की स्थिति काफी खराब है। वहां की रोटी में आर्सेनिक की मात्रा सर्वाधिक है।
आर्सेनिकयुक्त पानी से सिंचाई
इन जिलों के कुछ हिस्सों में गेहूं की सिंचाई के लिए आर्सेनिकयुक्त पानी का इस्तेमाल होता है। गेहूं की फसल आर्सेनिक को शोषित करती है। रोटी बनाने के लिए आटा गूंथने में आर्सेनिकयुक्त पानी का ही इस्तेमाल होता है।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के मृदा वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार कहते हैं कि आर्सेनिकयुक्त पानी से सिंचाई करने पर गेहूं की फसल पर असर पड़ता है। चावल तक में आर्सेनिक युक्त पानी का प्रभाव पाया गया है।
दियारा क्षेत्र में गंभीर समस्या
समस्तीपुर के मोहनपुर, मोहिउद्दीननगर, पटोरी व विद्यापतिनगर के गंगातटीय इलाके में आर्सेनिक का व्यापक असर है। हाल ही में मोहिउद्दीननगर में महावीर कैंसर संस्थान के चिकित्सकों ने 100 लोगों की जांच की थी। इनमें 44 में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की आशंका जाहिर की गई है।