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अनुमंडलीय अस्पताल में नहीं मिल रही मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं, तीन साल से अल्ट्रासाउंड बंद

अस्पताल में अव्यवस्था का बोलबाला, नहीं हो रहा है ब्लड बैंक का संचालन, बढ़ रही मरीजों की परेशानियां।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 09:25 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 07:00 AM (IST)
अनुमंडलीय अस्पताल में नहीं मिल रही मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं, तीन साल से अल्ट्रासाउंड बंद
अनुमंडलीय अस्पताल में नहीं मिल रही मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं, तीन साल से अल्ट्रासाउंड बंद

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बगहा के पंडित कमलनाथ तिवारी अस्पताल का उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ङ्क्षबदेश्वरी दूबे ने 23 अगस्त 1976 को किया था। इसके उपरांत स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसको अपग्रेड करते हुए अनुमंडलीय अस्पताल कर दिया गया। अनुमंडलीय अस्पताल के नाम पर एक ओपीडी भवन का निर्माण स्वास्थ्य मंत्री चंद्रमोहन राय द्वारा किया गया। इसके उपरांत आज तक इस अस्पताल में कोई भवन का निर्माण नहीं हो सका है। चिकित्सक और संसाधन की कमी से यह अस्पताल स्वयं बीमार है।

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100 बेड की जगह मात्र 30 बेड 

तीन दशक के बाद भी इस अस्पताल में केवल 30 बेड ही उपलब्ध है। मान्यता 100 बेड की है। बंध्याकरण के समय तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा ही किराये पर बेड लेकर मरीजों को दिया जाता है। अस्पताल की जांच दर जांच होती है। संसाधन मुहैया कराने की पहल अब तक नहीं हो पाई है। बेड की कमी से मरीज बराबर परेशान रहा करते है।

एक भी सर्जन नहीं 

अस्पताल में पदस्थापित सर्जन डाॅ. धनंजय कुमार का दो साल पूर्व विभाग द्वारा स्थानांतरण कर दिया गया। उनके स्थान पर कोई दूसरा सर्जन नहीं आया। अब ऐसे में जख्मी या जटिल प्रसव के लिए चिकित्सक मरीज का प्राथमिक उपचार करते हुए सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति को ले लोग इस अस्पताल को रेफलर अस्पताल का नाम दे दिये है।

तीन सालों से अल्ट्रासाउंड बंद  

गरीब, निर्धन मरीजों के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पताल में निश्शुल्क रूप से अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। इसे संचालक द्वारा तीन साल पूर्व बंद की दी गई। वह आज तक बंद है। ऐसे में मरीज निजी जांच घरों में में अपना जांच कराने को मजबूर है। जांच के नाम पर 400 से 500 रुपया जांच शुल्क लेने के बाद भी इनका जांच सही नहीं होता है। बंद अल्ट्रासाउंड खोलने की बार बार मांग के उपरांत भी अब तक यह बंद ही है।

ब्लड बैंक का नियमित संचालन नहीं 

विगत वर्ष माह नवंबर में सिविल सर्जन केके राय की पहल पर ब्लड बैंक का उदघाटन कर दिया गया। उदघाटन के उपरांत आज इसका संचालित नियमित कर्मियों की कमी के कारण नहीं हो रहा है। इसका लाभ भी मरीजों को नहीं मिल रहा।

चिकित्सकों की घोर कमी 

दो दर्जन चिकित्सक के बदले इस अस्पताल में मात्र पांच चिकित्सक और एक दंत चिकित्सक कार्यरत है। जबकि दो दर्जन चिकित्सकों का पद यहां है। विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी के कारण नगर सहित सात प्रखंड के लोगों को घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

स्वास्थ्य सचिव के आदेश के बाद भी नहीं आये चिकित्सक 

विशेष सचिव स्वास्थ्य विभाग के लोकेश कुमार स‍िंह  ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नौतन में कार्यरत चिकित्सक डाॅ. अमरेश सिंह तथा योगापट्टी में कार्यरत चिकित्सक डाॅ. राजीव कुमार का स्थानांतरण 16 नवंबर 2018 को अनुमंडलीय अस्पताल किया है। आदेश के बावजूद दोनों चिकित्सक अब तक योगदान नहीं किए है।

अनुमंडलीय अस्पताल बगहा उपाधीक्षक डाॅ. एसपी अग्रवाल ने कहा कि चिकित्सक, सर्जन, संसाधन, बेड, नर्स, कर्मी, भवन आदि की कमी अस्पताल में बनी हुई है। इस संबंध में जिला के बैठक में बार बार कहा जाता है। पत्राचार भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा किया गया है। केवल आश्वासन ही मिलता है। सीमित संसाधन के बावजूद अस्पताल में आए मरीजों का इलाज का पूरा पूरा प्रयास किया जा रहा है।


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