Move to Jagran APP

दरभंगा में पूर्व सांसद कीर्ति आजाद द्वारा शुरू किए गए छह चलंत चिकित्सा वाहनों में से एक भी सेवा में नहीं

2015 में दरभंगा के सांसद कीर्ति आजाद ने अपने विकास निधि कोष से खरीदा था मॉडल चलंत चिकित्सा वाहन बहेड़ा घनश्यामपुर बेनीपुर पीएचसी में हुई थी सुविधा बहाल चलंत चिकित्सा वाहन आधुनिक सुविधा से सुसज्जित होते थे। इसमें मामूली एक्स-रे से लेकर अल्ट्रासोनोग्राफी की भी व्यवस्था होती थी।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 03:43 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 03:43 PM (IST)
दरभंगा में पूर्व सांसद कीर्ति आजाद द्वारा शुरू किए गए छह चलंत चिकित्सा वाहनों में से एक भी सेवा में नहीं
प्रशासनिक लापरवाही के कारण दरभंगा में छह मॉडल एंबुलेंस वर्तमान समय में जर्जर । जागरण

दरभंगा, [प्रिंस, कुमार ]। दरभंगा के ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए तत्कालीन सांसद कीर्ति आजाद ने 2015 में अपने विकास निधि कोष से दरभंगा के ग्रामीण क्षेत्रों में छह चलंत चिकित्सा वाहन की शुरुआत की थी। शुरुआती दौर में चलंत चिकित्सा वाहन से सुदूर ग्रामीण इलाकों के लोगों को काफी लाभ मिलता था। जिले के घनश्यामपुर, बहेड़ा, बेनीपुर, सदर पीएचसी में यह सुविधा बहाल थी। चलंत चिकित्सा वाहन आधुनिक सुविधा से सुसज्जित होते थे। इसमें मामूली एक्स-रे से लेकर अल्ट्रासोनोग्राफी की भी व्यवस्था होती थी। वाहन में लैब के साथ जनरेटर भी थे।

loksabha election banner

जैसे-जैसे इसका समय बीतता गया, वैसे वैसे एनजीओ व विभागीय मिलीभगत से चलंत चिकित्सा वाहन की व्यवस्था भी धरातल नाम मात्र की रह गई है। वर्तमान चलंत चिकित्सा वाहन जर्जर अवस्था में जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर देखा जा सकता है। दरभंगा के पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने कहा कि चलंत चिकित्सा वाहन की व्यवस्था धराशायी होने का एकमात्र कारण पदाधिकारियों द्वारा वाहन का मॉनिटरिंग न किया जाना तथा एनजीओ के हाथों चलंत चिकित्सा एंबुलेंस देना था।

 जिले में छह चलंत चिकित्सा वाहन दिए पूर्व सांसद ने

 जिले में कुल छह चलंत चिकित्सा वाहन चलते थे। लेकिन वर्तमान में ये सभी चलंत चिकित्सा वाहन नजर नहीं आ रहे हैं। पूर्व संसाद कीर्ति आजाद कहते हैं, दरभंगा के तब के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह के कार्यकाल में छह चलंत चिकित्सा वाहन की सेवा बहाल की गई थी। वर्तमान में सभी चलंत चिकित्सा वाहन सेवा में नहीं है। मुझे आशंका है कि उक्त सभी छह चलंत चिकित्सा वाहनों में लगे चिकित्सकीय उपकरणों की चोरी कर ली गई है।

एक वाहन पर महीने में 1.50 लाख होता खर्च

 चलंत चिकित्सा वाहन पर हर माह लगभग एक लाख 50 हजार की बजट पड़ती है। वाहन में एक चिकित्सक, एक लैब तकनीशियन, एक एएनएम, एक एक्स-रे तकनीशियन होते हैं। चलंत चिकित्सा वाहन की सेवा वहां दी जाती थी, जहां ग्रामीण एरिया में स्वास्थ्य सेवा बहाल नहीं रहती थी। लोगों को स्वास्थ्य सेवा के लिए घंटों दूरी तय कर पीएचसी या डीएमसीएच आना पड़ता था। लेकिन सरकारी कुव्यवस्था के कारण गरीब मरीजों को ज्यादा दिनों तक यह सेवा नहीं मिल सकी।

-प्रशासनिक लापरवाही के कारण मेरे द्वारा विकास निधि के पैसे से खरीदे गए सभी छह मॉडल एंबुलेंस वर्तमान समय में जर्जर अवस्था में है। सरकारी और जिला स्तर पर चलंत चिकित्सा वाहन की देखरेख नहीं होने के कारण गरीब और जरूरतमंदों को यह सेवा ज्यादा दिनों तक नहीं मिल सका। - कीर्ति आजाद, पूर्व सांसद दरभंगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.