खाट पर जाते बीमार, दुल्हन पैदल आतीं ससुराल, प्रशासनिक मकडज़ाल में उलझा संपर्क पथ
सचिवालय से लेकर अंचल के प्रशासनिक अधिकारियों तक ग्रामीण लगा चुके हैं गुहार। 100 परिवार प्रतिदिन करते परेशानी का सामना। आवागमन के लिए मुख्य मार्ग पगडंडी है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कुछ जगहों को देखकर ऐसा लगता है कि वे इतने पीछे कैसे रहे गए? मुशहरी प्रखंड का बिंदा टांरी टोला भी उनमें से एक है। यहां करीब 100 परिवार रहते हैं। सलहा पंचायत भवन से इसकी दूरी करीब एक किलोमीटर है। यहां तक आने-जाने के लिए कोई संपर्क पथ नहीं है। मुजफ्फरपुर से करीब 15 किमी पूरब व प्रखंड मुख्यालय से करीब छह किमी पूरब है बिंदा टांरी टोला। इस टोले में आजादी के बाद से अब तक विकास की रोशनी नहीं पहुंच सकी है। यहां के लोगों के आवागमन के लिए मुख्य मार्ग पगडंडी ही है।
ग्रामीणों के अनुसार इस टोले में किसी की बेटी की शादी होने पर बरात व दूल्हे को सलहा पंचायत भवन से पैदल ही जाना होता है। खेतों में कोई फसल लगी होती है या किसी लड़के की शादी होती है तो नई नवेली दुल्हन को उसी स्थान से करीब एक किमी पैदल जाना पड़ता है। यहां तक कि बीमार व्यक्ति को मुख्य सड़क तक लाने के लिए मात्र खाट ही सहारा होता है। सबसे बड़ी बात है कि सरकार की अधिकतर योजनाएं इसी गरीब व अनुसूचित जाति के लोगों को ध्यान में रखकर तैयार की जाती हैं, लेकिन धरातल पर उनका क्या हाल है, इसे जानने की कोशिश न अफसर करते हैं और न ही जनप्रतिनिधि।
आश्वासन की घुट्टी पर चल रहा काम
इस टोले की पार्वती देवी व राजकुमारी देवी ने बताया कि संपर्क पथ के लिए एक पूर्व मंत्री को कई बार कहा गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मात्र आश्वासन की घुट्टी पिला दी गई। एक बार विधानसभा चुनाव के दौरान जनसंपर्क कर रहे एक प्रत्याशी पगडंडी से गुजरते समय पैर फिसलने से पानी में गिर गए थे। तब उन्होंने कहा था कि चुनाव जीतने के बाद पहला काम यही करूंगा। हालांकि चुनाव जीतने के बाद प्रयास भी नहीं हुआ। अमीन व राजस्व कर्मचारी से प्रतिवेदन लेकर प्रस्ताव को बढ़ाया गया, लेकिन अफसरशाही के कारण संचिका को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
तबीयत खराब होने पर मुश्किल
प्रताप राम कहते हैं, तबीयत अचानक खराब होने पर उन्हें पीएचसी मुशहरी जाना था। खाट पर लादकर मुख्य सड़क पर सलहा पंचायत भवन तक लाया गया। उनकी पत्नी ने कहा कि हमरा सब ला सब मर गलेई कोई सरकार देखे वाला न हई।
प्रस्ताव पास, फिर भी नहीं ध्यान
इस तरह के संपर्क पथ के 41 मामले अंचल में लटके पड़े हैं। कई सीओ आए और गए लेकिन, किसी ने ध्यान नहीं दिया। तत्कालीन डीएम धर्मेंद्र सिंह जब मुशहरी अंचल आए थे तो लोगों ने उन्हें आवेदन देकर अपनी गुहार लगाई थी। लेकिन, कोई कार्य नहीं हो सका। स्थानीय मुखिया अनारसी देवी ने बताया कि इस पथ का प्रस्ताव पंचायत व प्रखंड प्रमुख के स्तर से पारित है।
सचिवालय में भी आवेदन दिया
स्थानीय अर्जुन राम ने बड़ी उम्मीद से पटना जाकर साल भर पूर्व करीब 50 लोगों के हस्ताक्षर युक्त आवेदन सचिवालय में दिया। इस पर भी अब तक किसी अधिकारी ने सुध नहीं ली। मुशहरी सीओ नागेंद्र कुमार ने कहा कि उक्त टोले के लिए प्रस्ताव अंचल कार्यालय में मौजूद हैं। अग्रेत्तर कार्यवाही के लिए संचिका को ग्रामीण कार्य विभाग को भेजा गया है। संचिका वहां से वापस नहीं की गई है।