एईएस पर वर्षों तक शोध में लगी जांच एजेंसी ने किया किनारा
एनसीडीसी व एनआइवी की टीम पीडि़त बच्चों की जांच को नहीं आई। वर्ष 2012 के बाद लगातार एईएस की टीम करती रही मॉनीटरिंग।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। उत्तर बिहार के जिलों के मासूमों को एईएस के कहर से बचाने के लिए देश-विदेश की जांच एजेंसियों ने पिछले कई वर्ष यहां काम किया। मगर, इस वर्ष जांच एजेंसियों ने अपने स्तर से किनारा कर लिया है। एनसीडीसी, नई दिल्ली (नेशनल कौंसिल ऑफ डिजीज कंट्रोल) और एनआइवी, पुणे (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी) की टीम मई में ही यहां आ जाती थी। एनसीडीसी की टीम अधिक दिलचस्पी लेती थी। मगर, इस वर्ष ये एजेंसी अब तक नहीं आई। जबकि, पांच दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो गई है। वहीं, सौ से अधिक पीडि़त हैं।
कई वर्षों की जांच के बाद भी नतीजा उत्साहजनक नहीं
दरअसल, जांच एजेंसियों को इस बीमारी के बारे में कुछ खास हासिल नहीं हो सकी। दर्जनों बच्चों के सैंपल लिए गए। ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर मच्छर, जानवर व कीट-पतंगों पर भी अध्ययन किया गया। वह किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई। बीमारी का कारण क्या है, यह अब भी स्पष्ट नहीं हो सका। यही कारण है कि बच्चों की जान कैसे बचाई जा सके, सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा जा रहा। अब भी जागरूकता से ही बच्चों को इस बीमारी से बचाने की बात कही जा रही।
एसकेएमसीएच पहुंची केंद्रीय टीम ने संसाधनों की दक्षता पर उठाए सवाल
जानलेवा एईएस से पीडि़त बच्चों की जांच करने के लिए चिकित्सकों की केंद्रीय टीम बुधवार को एसकेएमसीएच पहुंची। यहां उन्होंने पीआइसीयू में उपलब्ध चिकित्सा संसाधनों की दक्षता को लेकर सवाल किए। टीम के एक सदस्य ने पूछा- क्या मॉनीटर सही नही है, पल्स रेट सही से नहीं दिख रही। हालांकि वहां मौजूद नर्सिंग और पारामेडिकल स्टाफ ने बताया कि यह सही है। तीन सदस्यीय केंद्रीय टीम ने बच्चों की टेंपरेचर जांच के लिए प्रयोग में आने वाले थर्मामीटर को अत्याधुनिक नहीं होने की बात कही। टीम के सदस्यों ने यहां उपलब्ध लगभग सभी उपकरणों के बारे में उपस्थित कर्मचारियों से पूछा और उसके अनुरूप आदेश दिया।
पीआइसीयू में उपलब्ध जगह पर भी सवाल किए। वहां उपलब्ध एसी को लेकर भी दिशा-निर्देश दिए। डॉ. अरुण सिंह के नेतृत्व में एसकेएमसीएच पहुंची इस टीम में डॉ. सौरभ गोयल एवं डॉ. लोकेश शामिल थे। इस टीम ने पीआइसीयू एक से चार तक में भर्ती एक-एक बच्चे की गहनता से जांच की।
जानी वेंटीलेटर की उपयोगिता
केंद्रीय टीम ने पीआइसीयू में रखे वेंटीलेटर को देखते हुए पूछा कि क्या इसका उपयोग होता है? इससे बच्चों की जान बचाई जातती है या यह बेकार पड़ा है। इसके साथ अन्य कई बाते पूछा।
टीम ने ब्लड सेल की भी ली जानकारी
एसकेएमसीएच में पहुंची चिकित्सकों की केंद्रीय टीम ने बच्चों की ब्लड जांच की जानकारी एवं रिपोर्ट देखी। इसके पश्चात जांच विधि को देखा। पेरिफेरल ब्लड फिल्म के जांच में किस तरह की फांइडिंग मिल रही है। क्लिनिकल पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेन्द्र चौधरी से ब्लड सेल के संबंध में विस्तृत जानकारी ली।
परिजनों से की पूछताछ
पीआइसीयू कक्षों में बीमारी से ग्रसित भर्ती बच्चों के परिजनों से चिकित्सकों की टीम ने कई तरह की जानकारी ली। इस दौरान कब और कैसे बीमार हुआ? प्रारंभ में क्या परेशानी हुई? जैसे अनेक जानकारी प्राप्त किया।
विभागाध्यक्ष हुए मूच्र्छित
एसकेएमसीएच के शिशु विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी अचानक मूक्र्षित हो गए। वे कई दिनों से दिनरात बच्चों पर कहर बरपा रही बीमारी के इलाज में जुटे हैं। इससे अचानक बुधवार को थकान के कारण मूच्र्छित हो गए। स्थिति सुधरने के बाद इलाज में जुट गए।
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