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बिहार के अनूठे साधक...जिन्होंने माता की आराधना के लिए ली समाधि, मतलब जमीन के अंदर ही चले गए

Shardiya Navratri 2022 बिहार के पश्चिम चंपारण स्थित बैरिया थाना क्षेत्र की सिसवा सरैया पंचायत के सरैया घाट शिवमंदिर का है मामला। मां दुर्गा की अाराधना के इस रूप को देखकर दंग हैं आसपास के लोग। उन्होंने समाधि से बाहर आने का समय भी अपने भक्तों को बता दिया है।

By JagranEdited By: Ajit kumarPublished: Tue, 27 Sep 2022 01:57 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 01:57 PM (IST)
बिहार के अनूठे साधक...जिन्होंने माता की आराधना के लिए ली समाधि, मतलब जमीन के अंदर ही चले गए
प्रशासन की ओर से इसकी अनुमति नहीं दी गई है। फोटो: जागरण

बेतिया (पश्चिम चंपारण), जासं। यह प्रसंग बिहार के पश्चिम चंपारण से जुड़ा है। बैरिया थाना क्षेत्र की सिसवा सरैया पंचायत के सरैया घाट शिवमंदिर परिसर में सोमवार की शाम में पूर्वी चंपारण के घोड़ासन झंडवा रामजानकी मठ के बाबा ने नवरात्र के नौ दिवसीय व्रत और अनुष्ठान के लिए समाधि ले ली। वे नवरात्र के बाद दशमी तिथि को समाधि से बाहर आएंगे। हालांकि मंगलवार की सुबह में मंदिर में पूजा करने के लिए पहुंचे श्रद्धालु भक्तों को बाबा ने समाधि से हाथ बाहर निकालकर आशीर्वाद दिया और बात भी की। समाधि लिए बाबा त्यागी सीताराम दास(54) पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन के बिजबनी बरईटोला के निवासी हैं।

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विगत 37 वर्ष से समाधिस्थ हो कर रहे अराधना

समाधि लिए बाबा के शिष्य अयोध्या के बजरंगी दास ने बताया कि बाबा पिछले 37 वर्ष से हर वर्ष नवरात्र में समाधि लेकर माता की अाराधना करते हैं। दस दिनों में वे फलहार समेत जल त्याग भी करते हैं। समाधि के दिनों में वे मां दुर्गा की अाराधना करते हैं। मंदिर पूजा समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि दो माह पहले बाबा त्यागी सीताराम दास यहां आए और मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे थे। नवरात्र आरंभ होने के पूर्व बाबा ने बताया कि वे समाधि लेकर माता की साधना करते हैं। इसको लेकर ग्रामीणों के सहयोग से समाधि के लिए 12 फीट लंबा, चौड़ा और गहरा समाधि की खुदाई कराई गई है। जिसमें बाबा के विश्राम के लिए एक चौकी भी रखी गई है। पूजन सामग्री के अलावा कुछ भी नहीं है। समाधि में बाबा के प्रवेश करने के बाद दो फीट के आसपास हवा और धूप के लिए जगह छोड़ी गई है। जिस पर मच्छरदानी लगाया गया है। शेष समाधि को बांस की चचरी रखकर पूरी तरह से मिट्टी से भर दिया गया है। छोड़े गए जगह से हीं प्रतिदिन सुबह में बाबा हाथ बाहर निकालकर श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वाद देंगे।

समाधि लेने की नहीं मिली अनुमति

बाबा सीताराम दास के शिष्य बजरंगी दास ने बताया कि वे समाधि लेने के लिए स्थानीय थाने से आदेश लेने गए थे। लेकिन, प्रशासन की ओर से उन्हें अनुमति नहीं दी गई। वे मां दुर्गा के परम भक्त हैं। इस वजह से बगैर अनुमति के हीं मां की साधना के लिए समाधि लिए हैं। उन्होंने मांग किया है कि धार्मिक आस्था को ध्यान में रखकर प्रशासन को बाबा को प्रति वर्ष समाधि के लिए अनुमति देना चाहिए। बैरिया थानाध्यक्ष प्रणय कुमार ने कहा कि मेरे संज्ञान में इस तरह का मामला नहीं है। एक माह पूर्व कुछ लोग इस तरह की बात करने के लिए आए थे, उन्हें मना किया गया था। मामले की जांच कर वरीय अधिकारियों के निर्देश पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।  


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