भक्तों के कष्टों का निवारण करतीं माता
बासंतिक नवरात्र के तीसरे दिन शुक्रवार को देवी साधकों ने अपने-अपने घरों में आदिशक्ति मां भगवती के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की।
मुजफ्फरपुर : बासंतिक नवरात्र के तीसरे दिन शुक्रवार को देवी साधकों ने अपने-अपने घरों में आदिशक्ति मां भगवती के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की। रमना स्थित मां राज राजेश्वरी देवी मंदिर के पुजारी आचार्य अमित तिवारी ने बताया कि नवरात्र में तीसरे स्वरूप की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं खत्म हो जाती हैं। माना जाता है कि मां भक्तों के कष्टों का शीघ्र निवारण कर देती हैं। इनकी आराधना से साधक में वीरता व निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होता है। रामदयालु स्थित मां मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पंडित रमेश मिश्र बताते हैं कि मां चंद्रघंटा के साधक और उपासक जहां भी जाते हैं, लोग उन्हें देखकर शांति और सुख का अनुभव करते हैं। आज करें मां कुष्मांडा की पूजा
ब्रह्मापुरा स्थित बाबा सर्वेश्वरनाथ मंदिर सह महामाया स्थान के आचार्य संतोष तिवारी ने बताया कि नवरात्र के चौथे दिन मा कुष्माडा की पूजा-आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों में निधियों की प्राप्ति, सभी रोग-शोक से मुक्ति व आयु-यश में वृद्धि होती है। इन्हें अष्टभुजी देवी भी कहा जाता है। मां को सजकोंहड़े की बलि सबसे ज्यादा प्रिय है। इसलिए इन्हें कुष्माडा देवी कहा जाता है। मां को मालपुए का भोग लगाना चाहिए। इससे माता की कृपा प्राप्त होती है। ज्ञान, बुद्धि और कौशल का विकास होता है। देवी को लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चूड़ी भी अर्पित करना चाहिए। इस दिन भी रोज की भाति सबसे पहले कलश की पूजा कर माता कूष्माडा को नमन करें। इस दिन पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करना बेहतर होता है। मा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित करें कि उनके आशीर्वाद से आपका और आपके स्वजनों का स्वास्थ्य अच्छा रहे। पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरण करें।