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शिवहर जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बच्चों के लिए साबित हो रहा वरदान

आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूलों में स्क्रीनि‍ंग के बाद सामने आ रही जन्मजात बीमारी के बाद बच्चों का मुफ्त ऑपरेशन भी करवाया जा रहा हैं। चिकित्सा विभाग की ओर से पूरे जिले में प्रत्येक प्रखंड में टीमों का गठन किया गया है।

By DharmendraEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 03:39 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 03:39 PM (IST)
शिवहर जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बच्चों के लिए साबित हो रहा वरदान
श‍िवहर में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बच्चों के लिए लाभदायक।

शिवहर, जेएनएन। जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। बच्चों की जन्मजात विकृति दूर करने के लिए इस योजना के तहत सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज करा, नई ज‍िंदगी दी जा रही है। आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में  स्क्रीनि‍ंग  के बाद सामने आ रही जन्मजात बीमारी के बाद बच्चों का मुफ्त ऑपरेशन भी करवाया जा रहा हैं। चिकित्सा विभाग की ओर से पूरे जिले में प्रत्येक प्रखंड में दो-दो टीमों का गठन किया गया है।

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यह टीम जन्मजात बीमारियों की जांच कर उनकी स्क्रीनि‍ंग के बाद रिपोर्ट देती है। इसके आधार पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों का इलाज कराया जा रहा है। जिला समन्वयक डॉ. सुजीत कुमार कौशिक ने बताया बीमारी से ग्रसित बच्चों को कार्ड देकर इलाज के लिए उच्च चिकित्सा संस्थान में भेजा जाता है। जहां जांच द इलाज पूरी तरह निशुल्क है। योजना के तहत जिले के सभी पीएचसी में बच्चों के इलाज के लियेबसेंटर संचालित हो रहा है। आरबीएसके टीम बच्चों का निशुल्क निबंधन करती है। इसके बाद संबंधित बच्चे को आइजीआइएमएस पटना और एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर भेजा जाता है। जहां जन्मजात जटिल बीमारियों की जांच, इलाज व ऑपरेशन किया जाता है। जिला समन्वयक ने बताया इस विकृति को अंग्रेजी में क्लेफ्ट पैलेट कहते हैं। इससे रोगी के मुंह के अंदर तालू का पूरा विकास नहीं होता है।

मुंह के उपरी हिस्से से नाक तक गहरा घाव जैसा आकार बन जाता है। कुछ बच्चों में यह कटे हुए का निशान ऊपरी होठ तक आ जाता है और उनके कटे हुए होठ दिखाई देते हैं। इस विकृति से बच्चे को बोलने और सुनने की समस्या भी होती है। बोलने पर आवाज नाक से आती है। साथ ही कटे होंठ व तालू की वजह से बच्चे को अपनी मां का दूध पीने, खाना खाने में भी दिक्कत होती है।बताया कि इस कार्यक्रम के तहत बच्चों की 38 तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता है। इनमें जन्म के समय किसी प्रकार के विकार, दांत सडऩा, हकलापन, बहरापन, सूनापन, गूंगापन, चर्म रोग, नाक रोग, त्वचा की बीमारी, मध्यकर्णशोथ, आमवाती हृदयरोग, प्रतिक्रियाशील हवा से होने वाली बीमारियां, ऐंठन विकार, न्यूरल ट््यूब की खराबी, डाउनसिड्रोम, फटा होठ एवं तालू-सिर्फ़ फटा तालू, मुद्गरपाद (अंदर की ओर मुड़ी हुई पैर की अंगुलियां), असामान्य आकार का कुल्हा, जन्मजात मोतियाबिद, जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदयरोग व असामयिक ²ष्टिपटल विकार आदि शामिल है। 


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