मुजफ्फरपुर के पूर्व मेयर समेत तीन पार्षदों की सदस्यता पर क्यों लटकी है तलवार?
Muzaffarpur Municipal Corporation Politics मुजफ्फरपुर नगर निगम की लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहने का मामला डीएम ने राज्य निर्वाचन आयोग को भेजी अपनी रिपोर्ट। तीनों पार्षद वैध कारण बताने और साक्ष्य देने में रहे असमर्थ आवेदन या कागजात भी नहीं करा सके उपलब्ध।
मुजफ्फरपुर, जासं। पूर्व मेयर सुरेश कुमार समेत तीन वार्ड पार्षदों पर अयोग्य होने की तलवार लटक गई है। तीनों पार्षदों ने निगम की लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहने के वैध कारण बताने में असमर्थ रहे। डीएम व जिला निर्वाचन पदाधिकारी पंचायत प्रणव कुमार ने इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग को रिपोर्ट भेज दी है। इसमें कहा गया है कि तीनों पार्षद सुनवाई में अनुपस्थित रहने को लेकर कोई भी कागजात उपलब्ध कराने में असमर्थ रहे। मालूम हो कि वार्ड पार्षद राजीव कुमार पंकू ने निर्वाचन आयोग में याचिका दायर की थी। इसमें पूर्व मेयर एवं वार्ड एक के पार्षद सुरेश कुमार, वार्ड 15 की पार्षद अंजू कुमारी और वार्ड 39 की पार्षद मंजू कुमारी को निगम की लगातार तीन बैठक में भाग नहीं लेने पर सदस्यता रद करने की मांग की गई थी। आयोग ने डीएम से मामले की रिपोर्ट मांगी थी। इसमें जिला पंचायती राज पदाधिकारी या वरीय उप समाहर्ता को मामले की सुनवाई एवं नोटिस तामिला कराने के लिए प्रतिनियुक्त करने को कहा था। डीएम ने जिला पंचायती राज पदाधिकारी (डीपीआरओ) सुषमा कुमारी को मामले की सुनवाई के लिए प्रतिनियुक्त किया था। डीपीआरओ ने सुनवाई के बाद डीएम को रिपोर्ट सौंप दी।
दलील को साबित नहीं कर सके पार्षद
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव को भेजे गए पत्र में डीएम ने कहा कि डीपीआरओ ने छह जनवरी को मामले की सुनवाई की। इसमें उक्त तीनों पार्षद उपस्थित हुए। पार्षद मंजू कुमारी के अधिवक्ता ने कुछ देर में सूचना उपलब्ध कराने की बात कही, मगर वे असफल रहे। पूर्व मेयर सुरेश कुमार ने कहा कि 23 जुलाई की बैठक को लेकर स्वास्थ्य ठीक नहीं होने संबंधी आवेदन दिया था। इस आवेदन की प्रति वह नहीं दिखा सके। निगम कार्यालय ने भी कोई आवेदन नहीं मिलने की जानकारी दी। प्राप्त पंजी में भी इसका साक्ष्य नहीं मिला। वहीं वार्ड पार्षद अंजू कुमारी ने कहा कि छुट्टी का आवेदन तत्कालीन मेयर सुरेश कुमार को उपलब्ध कराया था। सुरेश कुमार ने आवेदन मिलने को स्वीकारते हुए उसे नगर आयुक्त को अग्रसारित करने की बात कही। मेयर कार्यालय की पंजी की जांच में इसका साक्ष्य नहीं पाया गया। बैठक की कार्यवाही में भी इसका उल्लेख नहीं है। कागजात के अवलोकन से यह भी स्पष्ट हुआ कि बैठक की सूचना का तामिला समय से करा दिया गया था। इसमें अनुपस्थित रहने को लेकर स्वास्थ्य संबंधी आवेदन पार्षद या कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। साक्ष्य नहीं मिलने से स्पष्ट होता है कि पार्षदों द्वारा आवेदन नहीं दिया गया।
आयोग के पाले में गेंद
डीएम की रिपोर्ट के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग के पाले में गेंद है। आयोग ने इस मामले की रिपोर्ट 17 दिसंबर तक देने का आग्रह किया था। रिपोर्ट भेजने में करीब एक माह की देरी हो गई है। अब तीनों पार्षदों की सदस्यता समाप्त होगी या नहीं यह निर्णय आयोग के स्तर से लिया जाएगा।