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Coronavirus: बिहार के मुस्लिम भाइयों ने पेश की मिसाल, कोरोना संकट से निजात को रखा रोजा

कोरोना संकट को लेकर पूरा देश त्राहिमाम कर रहा है। उस पर मरकज प्रकरण ने हंगामा बरपा दिया है। लेकिन बिहार के कुछ मुस्लिम भाइयों ने मिसाल पेश की है।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 07:38 PM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 11:11 PM (IST)
Coronavirus: बिहार के मुस्लिम भाइयों ने पेश की मिसाल, कोरोना संकट से निजात को रखा रोजा

पूर्वी चंपारण, विज्येंद्र कुमार मिश्रा। कोरोना संकट को लेकर पूरा देश त्राहिमाम कर रहा है। उस पर मरकज प्रकरण ने हंगामा बरपा दिया है। लेकिन बिहार के कुछ मुस्लिम भाइयों ने मिसाल पेश की है। कोरोना से निजात के लिए उन्‍होंने रोजा रखा है। एक आठ साल के बच्‍चे ने भी रोजा रखा है। रमजान नहीं होने के बाद भी कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए ये सब रोजा रख रहे हैं। इसमें बच्चे और बूढ़े भी शामिल हैं। ये सबकी सलामती की दुआ कर रहे हैं। रोजा करनेवालों की संख्या भले ही छोटी है, लेकिन इनकी सोच ऊंची और संदेश बड़ा है। 

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आठ साल के मासूम ने भी रखा रोजा

पूर्वी चंपारण जिले की अरेराज नगर पंचायत के वार्ड संख्या नौ स्थित इस्लामनगर में करीब 300 लोग निवास करते हैं। इसमें अधिकतर मजदूरी कर रोजी-रोटी चलाते हैं। कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन का वे पूरा पालन कर रहे। देश-दुनिया को बीमारी से मुक्ति मिले, इसके लिए कई मुस्लिम भाइयों ने रोजा रखा है। 24 मार्च को ऐनुल हक अंसारी व मुन्ना अंसारी जैसे लोगों ने इसकी शुरुआत की। फिर तो कलामुद्दीन अंसारी, जहीर अंसारी, नूर महमद अंसारी, अफ्रीना खातून, सलमख खातून, अलीला खातून, ईश मोहम्मद अंसारी, रुसतक अंसारी आदि ने भी रोजा रख लिया। बड़े-बुजुर्गों को देख आठ वर्षीय बालक राफूदीन अंसारी भी इसमें शामिल हो गया। 

 

फीजिकल डिस्‍टेंसिंग के पालन करने की अपील

इन मुस्लिम भाइयों का कहना है कि विशेष परिस्थिति जैसे महामारी व प्राकृतिक आपदा आदि में अगर धार्मिक कार्य आड़े आ रहा हो तो उसका त्याग करना चाहिए। ऐसे समय में मानवता की भलाई का काम करना चाहिए। कोरोना के खतरे की आशंका के बीच घर से अनावश्यक नहीं निकलना चाहिए। रोजा रखने से व्यक्ति स्वच्छता व पवित्रता पर ध्यान देगा। कोरोना से बचाव में यह सहायक होगा। सभी घर पर रहकर नमाज पढ़ते हैं। लॉकडाउन व शारीरिक दूरी का पालन करने के साथ दूसरों से भी ऐसा करने की अपील कर रहे हैं। 

कहते हैं इमाम कारी जलालुद्दीन 

बड़ी मस्जिद के इमाम कारी जलालुद्दीन का कहना है कि इस समय मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। विपदा की घड़ी में पंथ-विचारधारा का कोई मोल नहीं होता। रोजा रखने से मन व शरीर पवित्र तथा शुद्ध हो जाता है। उसकी दुआ कबूल होती है। हम मानवता की रक्षा के लिए दुआ कर रहे हैं। 


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