मां की खता, बचपन भुगत रहा सजा
मंडल कारा बेतिया में कुछ ऐसे ब'चे भी सजा भुगत रहे हैं, जिनकी कोई खता नहीं है। जिस मां को ममता की मूर्ति कहा जाता है उनकी खता ने इन ब'चों का बचपन छीन लिया है।
मुजफ्फरपुर। मंडल कारा बेतिया में कुछ ऐसे बच्चे भी सजा भुगत रहे हैं, जिनकी कोई खता नहीं है। जिस मां को ममता की मूर्ति कहा जाता है उनकी खता ने इन बच्चों का बचपन छीन लिया है। निर्दोष होने के बाद भी उन्हें जेल की चारदीवारी के भीतर रहना पड़ रहा है। इनको पता भी नहीं है कि इसके बाहर भी कोई दुनिया है। हालांकि, जेल प्रशासन ऐसे बच्चों को सभी सुविधाएं मुहैया करा रहा है, ताकि उनके बचपन पर जेल के माहौल का साया न पड़े।
मंडल कारा में विभिन्न मामलों में 58 महिलाएं बंद हैं। इनमें से आठ महिलाओं के साथ एक से पांच वर्ष के उनके बच्चे भी हैं। सरकारी प्रावधान के अनुसार बच्चों को अपनी मां के साथ जेल में रहने की इजाजत है। कुछ महिलाएं कुछ वर्षो से सजा भुगत रही हैं तो कुछ विचाराधीन कैदी हैं। बच्चों के दिमाग पर जेल का प्रभाव न पड़े, इसलिए कई प्रबंध किए गए हैं। बच्चों के लिए खिलौने, कॉपी, किताब और पेंसिल जेल प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराया गया है। उनके खेलने की भी व्यवस्था की गई है।
आरएलएसवाई कॉलेज से सेवानिवृत्त मनोविज्ञान के प्राध्यापक डॉ. कामता प्रसाद कहते हैं कि यह ¨चता का विषय है। बच्चे कई चीजें बहुत जल्द भूल जाते हैं। मगर, दुख व अपमान की बात जल्द नहीं भूलते। उनके मानस पटल पर वह अंकित रह जाता है। इससे दूर होने में काफी समय लग जाता है। बच्चों को सदैव बेहतर माहौल देना चाहिए।
मंडलकारा अधीक्षक रामाधार ¨सह का कहना है कि जेल में कुछ महिला कैदियों के साथ उनके कम उम्र के बच्चे भी हैं। इनकी सुविधा का ख्याल रखा जाता है। उनके लिए खिलौने, शिक्षा-दीक्षा या अन्य साधनों का व्यवस्था की गई है। कोशिश की जाती है कि बच्चों पर जेल के माहौल का असर नहीं पडे़।