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नेहा बिटिया की मौत की खबर सुनते ही बेहोश हो गई मां, पश्चिम चंपारण में हादसा

West Champaran news धनहा-रतवल मार्ग पर आए दिन होती है दुर्घटनांए घटना में नेहा की चाची सीमा को भी चोट लगी है। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। तेज रफ्तार बनी घटना की वजह। मृतक के घर जुटी लोगों की भीड़।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 04:18 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 04:18 PM (IST)
नेहा बिटिया की मौत की खबर सुनते ही बेहोश हो गई मां, पश्चिम चंपारण में हादसा
पश्‍च‍िम चंपारण में सड़क दुर्घटना के बाद रोते-ब‍िलखते स्‍वजन। फोटो-जागरण

पश्चिम चंपारण (चौतरवा), जासं। नेहा की मौत की खबर सुनते ही उसकी मां बेहोश हो गई। चाची सीमा को अनुंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दुर्घटना के बाद परिवार में कोहराम मचा है। पड़ोसी सांत्वना दे रहे थे। मौके पर पंचायत के मुखिया पुत्र आनंद शाही पहुंचकर पीडि़त परिवार को ढाढस बंधाया व सरकारी सहायता दिलवाने का भरोसा दिया। इस घटना में नेहा की चाची सीमा को भी चोट लगी है। उसका इलाज अनुमंडलीय अस्पताल में चल रहा है।

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खूनी हुई सड़कें, आए दिन होते हादसे

बगहा,संस: जिले की सड़कें खूनी बन गई है। सड़क हादसे में आए दिन लोगों की जान जा रही है। कई बार दूसरों की गलती के कारण बेवक्त लोग मौत के मुंह में समा रहे। जबकि सड़क हादसे में घायल होकर महीनों तक अस्पताल में पड़े रहते हैं। हादसे में कई लोग अपंग हो चुके हैं। बगहा पुलिस जिला में जनवरी 2021 से दिसंबर माह तक 124 हादसे हुए हैं। इन हादसों में 30 लोगों की जान जा चुकी है। जबकि वास्तविक रूप से देखें तो हादसों की संख्या बढ़ सकती है। कारण कि सड़क हादसे के कई मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं होती।

धनहा-रतवल मार्ग पर गड्ढे ही गड्ढे

धनहा-रतवल मार्ग पर गड्ढे ही गड्ढे ही हैं। जिससे आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। रोजना सैकड़ों की संख्या में यूपी से भारी वाहनों का आना-जाना होता है। जिसमें गन्ना लदी गाडिय़ों की संख्या सर्वाधिक होती है। सबसे अधिक दुर्घटना का मुख्य कारण तेज रफ्तार होना है। सिंगल रोड होने के कारण गाडिय़ों की रफ्तार तेज होती है। पलक झपकते ही दुर्घटना हो जाती है। इस मार्ग पर घायल आधा दर्जन लोग जीवन मौत से संघर्ष कर रहे हैं। चौतरवा में खाद बीज के दुकानदार प्रमोद कुमार सिंह का कहना है कि धनहा-रतवल मार्ग पर एक नहीं सैकड़ों गड्ढे हैं। इस मार्ग पर आए दिन उच्चाधिकारियों का आना-जाना रहता है। लेकिन कोई सड़क मरम्मत कराने की जहमत नहीं उठाता। गड्ढे भर दिए जाएं तो बहुत हद तो दुर्घटनाएं कम हो जाएं।


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